बीजिंग : चीन शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के साथ किस तरह की भेदभावपूर्ण और दमनकारी नीति अपना रहा है, इसकी कई रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सामने आ चुकी है। अब एक जर्मन रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन योजनाबद्ध तरीके से उइगर मुसलमानों की संख्या सीमित करने में जुटा है और इसका असर अगले 20 वर्षों में साफ देखने को मिलेगा, जब 2040 तक यहां जन्मदर में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जबकि हाल ही में चीन ने युवा दंपतियों में बच्चा न चाहने के रूझान के बीच नई बच्चा नीति की घोषणा की है। इसमें दंपतियों को तीन बच्चे रखने की अनुमति दी गई है। चीन का यह फैसला यहां की बूढ़ी होती आबादी और जन्मदर में भारी गिरावट के बीच आया है। एक अनुमान के मुताबिक, चीन में 2022 तक हर सात में से एक शख्स 65 साल या उससे अधिक की उम्र का होगा।
यहां जन्मदर में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। 1950 के दशक के बाद से पिछले दशक के दौरान जन्मदर की रफ्तार सबसे धीमी रही है। चीन की जनसांख्यिकीय संरचना को लेकर इस तरह की चिंता बीते साल भी जताई गई थी, जब जन्मदर में 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इसे चीन के 1961 के जन्म दर के जैसा बताया गया। इन सबके बीच चीनी प्रशासन ने अब हर जोड़े को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देने की बात कही।
चीन एक ओर से जहां अपनी जनसंख्या बढ़ाने में लगा है, वहीं दूसरी ओर वह योजनाबद्ध तरीके से उइगर मुसलमानों की आबादी कम करने में जुटा है। जर्मन शोधकर्ताओं ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके मुताबिक, शिनजियांग क्षेत्र के लिए चीन की बर्थ कंट्रोल पॉलिसी का असर भविष्य में इस समुदाय के लोगों की आबादी पर दिखेगा। अगले दो दशकों में शिनजियांग प्रांत में रहने वाले अल्पसंख्यकों के 26-45 लाख बच्चे कम पैदा होंगे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2040 तक क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की आबादी घटकर 86 लाख से 1.05 करोड़ के बीच पहुंच जाएगी, जबकि बीजिंग की कार्रवाई से पहले यहां चीनी रिसर्चर्स ने ही कभी यह आबादी 1.31 करोड़ होने का अनुमान जताया था। चीन की बर्थ-कंट्रोल नीतियों से क्षेत्र में 2040 तक हान समुदाय के लोगों की जनसंख्या बढ़ने की बात कही गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, क्षेत्र में हान समुदाय के लोगों की भागीदारी इस वक्त जहां 8.4 प्रतिशत है, वहीं अगले 20 वर्षों में यह 25 प्रतिशत हो सकती है।