नई दिल्ली। चीन के बारे अलग अलग तरह के विशेषण इस्तेमाल में लाए जाते हैं, जैसे वो चालबाज, मौकापरस्त है।लेकिन कोरोना काल में उसे एक औल विशेषण से नवाज जा रहा है कि वो धोखेबाज है। दरअसल इसके पीछे ठोस वजह भी है। कोरोना का सामना कर रहे स्पेन को चीन ने दोयम दर्जे का मॉस्क भेज दिया, बेल्जियम को घटिया किस्म का पीपीई किट भेजा। जब इस विषय पर होहल्ला उठा तो उसकी तरफ से सफाई भी आ गई। अब वही काम उसने भारत के साथ किया है। पहले तो दोयम दर्जे की पीपीई किट निर्यात किया और अब जो रैपि़ड टेस्ट किट आई है वो भी गुणवत्ता के मामले में खरी नहीं उतर रही है।
टेस्ट किट को लेकर कई राज्यों की शिकायत
रैपिड टेस्ट किट के बारे में बंगाल की तरफ से सवाल उठाते हुए इस्तेमाल से रोक दिया गया, उसके बाद राजस्थान ने भी कहा कि जो चीन से किट आई है वो सही रिजल्ट नहीं दे रही है। इसके साथ ही हरियाणा ने भी एक लाख रैपिड टेस्ट किट को वापस भेजने का फैसला किया है। रैपिड टेस्ट किट में खामी की शिकायत के बाद आईसीएमआर ने दो दिन यानि गुरुवार तक इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। लेकिन सवाल यह है कि जब पीपीई किट को लेकर सवाल उठे तो रैपिड टेस्ट किट को क्यों मंगाया गया।
क्या कोई दूसरा रास्ता नहीं
सवाल यह है कि अगर इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं था तो क्या टेस्ट किट की जांच नहीं की गई थी। ज्यादातर राज्य सरकारों की शिकायत है कि इस किट से नतीजों में 5 से लेकर 73 फीसद तक बदलाव आ रहा है। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस किट के जरिए ऐसे मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है जो कोरोना संक्रमित हैं, लिहाजा इस किट के जरिए टेस्ट पर भरोसा करना मुनासिब न होगा।
अलग अलग मुल्कों को भी चीन ने छला
चीन किस तरह से दोयम दर्जे का पीपीई किट भेज कर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। स्पेन की शिकायत थी कि पीपीई किट पहनते ही फट जाते हैं। इस तरह की कई खबरें और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई थी। लेकिन चीन को इस बात से कोई परवाह नहीं है। चीन को पता है कि इस समय पीपीई किट्स औक एंडी बॉडीज रैपिड टेस्च किट का पूरी दुनिया में अकाल है। इसके साथ ही सवाल उठता है कि क्या चीन इसका फायदा उठा कर अपने सड़े गड़े माल को कोरोना प्रभावित दूसरे मुल्कों को आपूर्ति कर अपनी झोली भर रहा है।