दुनिया की महाशक्ति के रूप में चीन की पहचान उसके सैन्य ताकत के लिए भी है। साल 1927 में गठित पीएलए एक अगस्त को 94 साल की हो गई। अपने गठन के बाद से पीएलए की सेना का लगातार विस्तार और उसका आधुनिकीकरण हुआ है। सैन्य शक्ति के लिहाज से देशों की रैंकिंग करने वाली संस्था ग्लोबल फायर पायर ने पीएलए को 140 देशों में तीसरे पायदान पर रखा है। उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी पैदल सेना है। विगत देशकों में आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने के बाद चीन ने अपनी सेना को आधुनिक बनाने के साथ-साथ तकनीकी रूप से दक्ष बनाया है।
विश्वस्तरीय सेना बनाना चाहता है चीन
चीन का इरादा अपनी सेना को अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और भारत जैसी विश्व स्तरीय बनाना है। इसमें वह काफी हद तक सफल रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की योजना 2049 तक पीएलए को एक विश्व स्तरीय सेना के रूप में स्थापित करना है। चीन इस समय अमेरिका को ध्यान में रखकर अपनी सेना को आधुनिक एवं तकनीकी रूप से दक्ष बना रहा है। इससे दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बिगड़ रहा है। चीनी सेना के इस आधुनिकीकरण से भारत सहित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में चिंतित होना स्वाभाविक है। रक्षा जानकारों का कहना है कि हाल के समय में चीनी सेना पीएलए में जो बदलाव हुए हैं उनमें कम से कम चार चीजों पर भारत को ध्यान देने की जरूरत है-
सीमा पर बुनियादी संरचना में विस्तार
भारत के साथ लगी सीमा की सुरक्षा में चीन की पश्चिमी थियेटर कमान, तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट एवं शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट तैनात हैं। पीएलए की ये यूनिटें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की निगरानी,गश्त और गतिविधियां करती हैं। सीमा पर सैन्य अपनी ताकत बढ़ाने के लिए चीन ने तिब्बत में बुनियादी संरचनाओं का तीव्र विकास किया है। ल्हासा को सीमावर्ती क्षेत्रों से जोड़ने के लिए उसने पूर्व-पश्चिम एवं उत्तर-दक्षिण में कई राजमार्ग बनाए हैं। भारत को सीमा पर चीन की बराबरी करने और उस पर बढ़त बनाने के लिए भारत को एलएसी पर अपनी कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के लिए अपनी आधारभूत संरचनाओं का जाल और मजबूत बनाना होगा।
समुद्र में दबदबा बनाना चाहता है चीन
हाल के वर्षों में चीन की नौसेना ने हिंद महासागर एवं पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपनी गतिविधियां तेज की हैं। गश्ती की आड़ में वह अपनी पनडुब्बियों एवं युद्धपोतों को हिंद महासागर में भेजता रहा है। पिछले समय में उसकी पनडुब्बियां हिंद महासागर में देखी गई हैं। वह समुद्र में अपना प्रभाव बढ़ाकर भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की फिराक में है। चीन ने जिबूती में अपना एक नौसैनिक अड्डा बनाया है। चीन हिंद महासागर में और नैसैनिक अड्डे बनाने की फिराक में है। भारत को इस ओर भी ध्यान देना होगा।
साइबर, स्पेस की सुरक्षा अहम
पारंपरिक युद्ध के तौर-तरीकों में मजबूती के बाद चीन ने साइबर और स्पेस के क्षेत्र में बढ़त बनाया है। वह युद्ध की आधुनिक शैली और उन्नत हथियार विकसित करने में जुटा है। अमेरिका के एक खुफिया अधिकारी ने हाल ही में कहा है कि चीन 'स्पेस वार' की तैयारी में जुटा है। वह अंतरिक्ष में उपग्रहों को निशाना बनाने एवं उन्हें नष्ट करने के लिए आधुनिक तकनीक विकसित कर रहा है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि चीन की मंशा अंतरिक्ष क्षेत्र में अमेरिका की बराबरी करने और उससे आगे निकलने की है। अपनी इस चाहत और लक्ष्य को पाने के लिए वह लगातार काम कर रहा है। चीन साइबर वार में भी काफी तरक्की कर चुका है। चीनी हैकर्स नेटवर्क एवं वेबसाइट्स हैक करने के लिए कुख्यात हैं। इन्होंने कई बार भारत में नेटवर्किंग सिस्टम को निशाना बनाया है।
मिसाइल सिस्टम एक चुनौती
चीन की हाइपरसोनिक एवं सुपरसोनिक मिसाइल टेक्नॉलजी दुनिया के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। वह तेजी के साथ इन मिसाइलों का विकास कर रहा है। रिपोर्टों की मानें तो एलएसी पर भारत के साथ ताजा विवाद के बाद उसने बॉर्डर के समीप शिनजियांग प्रांत में अपनी करीब 16 डीएफ-26 बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात की हैं। इन मिसाइलों की मारक क्षमता को देखा जाए तो उनका निशाना भारत है। खास बात यह है कि मिसाइलें पारंपरिक हथियारों के अलावा परमाणु हथियार भी ले जा सकती हैं।
चीन की इन चार चुनौतियों का जवाब देने के लिए भारत को अपनी तैयारी रखनी होगी। इनके अलावा चीन के रक्षा बजट, उसके ड्रोन स्वार्म्स उसकी विध्वंसकारी तकनीक और पाकिस्तान के साथ उसके गठजोड़ को ध्यान में रखते हुए नई दिल्ली को अपनी सामरिक एवं सैन्य रणनीति को आगे बढ़ाने की जरूरत है।