Balochistan News:बीते 26 अप्रैल को पाकिस्तान की कराची यूनिवर्सिटी के कनफ्यूशियस सेंटर में हुए आत्मघाती हमले में 3 चीनी शिक्षकों की मौत हो गई। इस आतंकी हमले को बलोच लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड ने अंजाम दिया था। और हमले को महिला शारी बलोच ने खुद को बम से उड़ाकर अंजाम दिया। पाकिस्तान में बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही बलोच लिबरेशन आर्मी द्वारा महिला के रूप में किया गया पहला आत्मघाती हमला था। साफ है कि बलोच लिबरेशन आर्मी ने इस हमले से साफ कर दिया है कि वह आने वाले दिनों में कहीं ज्यादा खतरानक रूख अपना सकती हैं।
चीन के नागरिक निशाने पर क्यों
इस हमले की खास बात यह थी कि बलोच लिबरेशन आर्मी ने खास तौर से चीन के नागरिकों को टारगेट कर हमला किया था। और इस हमले में बस में मौजूद 3 चीनी शिक्षकों और पाकिस्तानी बस ड्राइवर की मौत हो गई । साल 2021 के जुलाई से अब तक यानी करीब 10 महीने में चीन के नागरिकों पर चौथी बार पाकिस्तान में हमला हुआ है। इसके पहले जुलाई 2021 में खैबर पख्तून में हुए धमाके में 10 चीनी नागरिक मारे गए थे और 26 चीनी नागरिक घायल हुए थे। इन हमलों के बाद पाकिस्तान के ऊपर चीन का इतना दबाव था कि जनवरी 2022 में उसे 11.6 मिलियन डॉलर हर्जाने की राशि चीनी नागरिकों के परिवारों को देनी पड़ी थी।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इसके पहले 2018 में भी चीनी नागिरकों पर 3 बार हमले किए गए। जिसमें नवंबर 2018 में चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हुआ हमला सबसे बड़ा हमला था। इस हमले में चार लोगों की मौत हो गई थी। यह हमला भी बलूच लिबरेशन आर्मी ने किया था। सवाल उठता है कि चीनी नागरिक पाकिस्तान में निशाने पर क्यों हैं। तो इसका जवाब चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर है, जो चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का एक अहम हिस्सा है।
बलूचिस्तान में खनिजों का बड़ा भंडार
असल में पाकिस्तान का बलूचिस्तान शुरू से ही उसे अलग होने की मांग करता रहा है। वहां के बलोच लोगों का मानना है कि उनका इतिहास शुरू से स्वतंत्र इतिहास रहा है। लेकिन पाकिस्तान ने जबरन 1948 में बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत में सोने, तांबे और गैस के बड़े भंडार मौजूद हैं। और चीन का इकोनॉमिक कॉरिडोर इसी इलाके से गुजर रहा है। इसके अलावा चीन इसी इलाके में ग्वादर बंदरगाह भी विकसित कर रहा है। वहां की स्थानीय परिस्थितियों को समझने वाले एक वरिष्ठ बैंकर का कहना है कि चीन के इस इलाके में आने से बलोच लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और खराब हो चुकी है। हालात यह है बलोच लोगों के जीविका के साधन भी चीन की कंपनियों के पास जा रहे हैं। जिसकी वजह से चीन के लोगों के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है। अहम बात यह है कि बलोचिस्तान के फैसले को लेकर पाकिस्तान उन्हें भागीदार नहीं बनाता है। जिससे भी नाराजगी बढ़ी है।
कौन है बलोच लिबरेशन आर्मी और क्या है संघर्ष का इतिहास
बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संघर्ष की जड़ें भारत के विभाजन से जुडी हुई हैं। उस वक्त बलूचिस्तान में कलात, लॉस बुला,मकरान,खारान रियासतें थी जिस पर ब्रिटिश साम्राज्य का सीधा शासन नहीं था। ऐसे में लॉस बुला,मकरान,खारान की रियासतों ने पाकिस्तान के साथ विलय का फैसला किया। जबकि कलात ने स्वतंत्र राष्ट्र बनने का फैसला किया। लेकिन मार्त 1948 में पाकिस्तान ने कलात पर हमला कर उसे कब्जे में ले लिया। और उसके बाद से ही स्थानीय लोग अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वैसे तो बलूचिस्तान में कई अलगाववादी संगठन है। लेकिन सबसे असरकारी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी है। इस संगठन का नेतृत्व इस समय बशीर जेब बलोच कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उठाया था बलूचिस्तान का मामला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में लाल किले से भाषण के दौरान बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया था। उन्होंने लाल किले से कहा था 'पिछले कुछ दिनों गिलगित, बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों ने मेरे प्रति जो सद्भावना जताई है, उसके लिए मैं उनका विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। उस जमीन को मैंने देखा नहीं, लेकिन वहां के लोग मेरा आदर करते हैं तो यह मेरे देश का सम्मान है। पाक के कब्जे वाले कश्मीर, बलूचिस्तान और गिलगित के लोगों के प्रति दिल से आभार प्रकट कर रहा हूं।' इसके बाद जब 2019 में जब भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया तो बलूचिस्तान के लोगों ने भी इसका समर्थन किया था और उम्मीद जताई थी कि एक दिन उनका देश में आजाद होगा।
पाकिस्तानी जुल्म के भरे पड़े हैं सबूत
साल 2016 की बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2016 के दौरान करीब 936 बलूच लोगों के शव विभिन्न इलाकों में पाए गए। जो पाकिस्तान के बलूच लोगों के जुल्म की कहानी बयां करते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर आए दिन बलूच लोगों के साथ हो रहे जुल्म के वीडियो देखे जा सकते हैं। ऐसे में जिस तरह पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हो रहा है, उसमें यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या बांग्लादेश की तरह पाकिस्तान के और टुकड़े होंगे। अगर ऐसा होता है तो बलूचिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र का रूप ले सकते हैं। जिसके लिए बलूच पिछले 74 साल से संघर्ष कर रहे हैं।