बीजिंग : चीन में पुरुष औरतों जैसे होते जा रहे हैं! यह सुनने में थोड़ा अटपटा लग सकता है, पर चीन में सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है। इसकी शुरुआत बीते साल मई में ही हो गई थी, जब सरकारी समिति के अधिकारी ने चीनी नौजवानों में 'महिलाओं के जैसे' बढ़ते रूझानों को लेकर चेताया था और कहा था कि उनमें 'डर और हीनता' की भावना भरती जा रही है, जो राष्ट्र के विकास और अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है।
इसके बाद चीन के शिक्षा मंत्रालय ने जो नोटिस जारी किया, उसे लेकर अब यहां सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। दरअसल चीन के शिक्षा मंत्रालय ने अपने नोटिस में चीनी नौजवानों में 'मर्दानगी' बढ़ाने पर जोर दिया है, जिसे सेक्सिस्ट यानी पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया जा रहा है। इसमें फिजिकल एजुकेशन पर जोर देते हुए इसके लिए बड़े पैमाने पर नए शिक्षकों की नियुक्ति की बात भी कही गई है।
चीनी शिक्षा मंत्रालय की ओर से यह नोटिस 8 दिसंबर, 2020 को जारी किया गया था, जिसमें चीनी नौजवानों की शारीरिक शिक्षा व मानसिक विकास पर जोर देते हुए इसके लिए रिटायर्ड एथलीट्स और खेल-कूद की पृष्ठभूमि वाले शिक्षकों की भर्ती की बात कही गई है। बात अगर सिर्फ नौजवानों के शारीरिक व मानसिक विकास की होती तो संभवत: इस नोटिस पर इतना कोहराम नहीं मचता। लेकिन इसमें एक शब्द 'मर्दानगी' भी जुड़ा है।
नोटिस में कहा गया है कि चीनी लड़कों में शरीरिक शिक्षा के साथ-साथ इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है कि छात्रों में 'मर्दानगी' की भावना विकसित की जा सके। इसमें फुटबॉल जैसे खेल पर खास ध्यान देने के लिए कहा गया है, जिसके मुरीद चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हैं और जिन्होंने साल 2050 तक चीन को 'वर्ल्ड फुटबॉल में सुपरपावर' बनाने की उम्मीद पाल रखी है और इस संबंध में बयान भी दे चुके हैं।
चीन में शिक्षा मंत्रालय के इस नोटिस के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट वीबो पर लोग इसे महिलाओं के अपमान से जोड़कर देख रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि डर और भावुक होना एक मानवीय गुण है और इसमें स्त्री और पुरुषों के बीच किसी तरह का भेद भला कहां होता है? सरकार के इस फरमान के बाद बीबो यूजर्स चीन में महिलाओं और पुरुषों के बीच बड़े लिंगानुपात के मसले को भी उठा रहे हैं।