काबुल: अफगानिस्तान में चीनी राजदूत वांग यू ने गुरुवार को तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यवाहक उप प्रधान मंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की और देश को सहायता जारी रखने की इच्छा व्यक्त की। चीन का कहना है कि इस मुलाकात का मकसद अफगानिस्तान के आर्थिक पुनर्निर्माण को साकार करने में मदद करना है। हालांकि चीन की हकीकत किसी से छिपी और वह किस तरह छोटे देशों को मदद के नाम पर अपने जाल में फंसाता है पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
चीनी राजदूत वांग यू ने कहा कि स्वार्थ के लिए चीन ने अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में कभी दखल नहीं दिया है। चीनी सरकार के मुखपत्र और अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, वांग कहा कि चीन सभी अफगान लोगों के लिए एक दोस्ताना नीति अपनाता है और स्थिरता तथा यहां पुनर्निर्माण के लिए अफगानिस्तान के प्रयासों का समर्थन करता है। वहीं बरादर ने कहा कि अफगानिस्तान विभिन्न क्षेत्रों में चीन के साथ मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पहले अक्टूबर में, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कतर के दोहा में बरादर से मुलाकात की थी और कहा था कि चीन स्वतंत्र रूप से अपने देश का भविष्य तय करने और अपने विकास का रास्ता चुनने के लिए अफगान लोगों का समर्थन करता है। वांग ने आशा व्यक्त की थी कि तालिबान आगे खुलेपन और सहिष्णुता का प्रदर्शन करेगा, देश के सभी जातीय समूहों और गुटों को शांतिपूर्ण पुनर्निर्माण के लिए एक साथ काम करने के लिए एकजुट करेगा।
बैठक के दौरान, चीनी विदेश मंत्री ने अमेरिका और पश्चिम से देश पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था। अगस्त में जब से तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया है, उसने व्यापक अंतरराष्ट्रीय मान्यता की मांग की है। चीन उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जिन्होंने इस संगठन से जुड़ना शुरू कर दिया है।
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