बीजिंग : ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हुए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शनिवार को कहा कि 'ताइवान प्रश्न' का मुद्दा सुलझाया जाएगा और 'शांतिपूर्ण एकीकरण' दोनों पक्षों के हितों में है। शी ने कहा कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चीन की बढ़ती आक्रमता के मद्देनजर अमेरिका और जापान ताइवान के प्रति अपना समर्थन बढ़ा रहे हैं जिसकी पृष्ठभमि में चीन की यह टिप्पणी आई है।
शी की यह टिप्पणी चीन द्वारा लगातार चौथे दिन ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में बड़ी संख्या में युद्धक विमान भेजे जाने के बाद आई है। ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है लेकिन चीन इसे एक अलग प्रांत के रूप में देखता है। चीन ने एकीकरण के लिए ताकत का इस्तेमाल करने की संभावना से इनकार नहीं किया है।
शी ने देश के साम्राज्यवादी वंश को खत्म करने वाली क्रांति की 110वीं वर्षगांठ के मौके पर यहां के ग्रेट हॉल में कहा कि चीन के एकीकरण के रास्ते में 'ताइवन स्वतंत्रता' बल मुख्य बाधक है। वह (शी) चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के महासचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि ताइवन का प्रश्न चीनी राष्ट्र की कमजोरी और अराजक स्थिति की वजह से पैदा हुआ और इसे सुलझाया जाएगा ताकि एकीकरण वास्तविकता बन सके। शी ने कहा, 'यह चीनी इतिहास की सामान्य प्रवृत्ति से निर्धारित होता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी चीनियों की सामान्य इच्छा है।'
वर्ष 1911 में डॉ सन यात सेन के नेतृत्व में हुई चीनी क्रांति ने 2,132 साल के साम्राज्यवादी शासन और 276 वर्ष के मानचू शासन को खत्म कर दिया था और 1949 में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई। वहीं 10 अक्टूबर को ताइवान में राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। चीन और ताइवान के शासन पद्धति में भी अंतर है। चीन में एक दलीय शासन प्रणाली है जबकि ताइवान में बहुदलीय लोकतंत्र है।
शी 2012 में देश के राष्ट्रपति बने व चीन का कायाकल्प किया तथा चीन के मुख्य हिस्से में ताइवान को जोड़ना उनके मुख्य लक्ष्यों में से एक है। पिछले सप्ताह ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में 150 युद्ध विमान घुस गए थे, जिसको लेकर अमेरिका ने गहरी चिंता व्यक्त की। इस घटनाक्रम के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शी को याद दिलाया कि पिछले महीने फोन पर हुई बातचीत के दौरान उन्होने 'ताइवान समझौते' का पालन करने पर सहमति जताई थी।
शी ने अपने संबोधन में कहा कि ताइवान का प्रश्न चीन का आंतरिक मामला है और इसमें किसी विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शी ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण ताइवान के हमवतन समेत संपूर्ण चीनी राष्ट्र के हित में है। शी ने याद किया कि मुख्य भूमि (चीन) शांतिपूर्ण एकीकरण की मूल नीतियों और एक देश, दो प्रणाली का पालन करती है जो एक-चीन नीति को बरकार रखती है।
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ताइवान की स्वतंत्रता की समर्थक हैं। शी ने कहा कि वे लोग जो स्वतंत्रता की वकालत कर रहे हैं, वे इतिहास की नजर में दोषी रहेंगे। शी ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती मुखरता को लेकर वैश्विक चिंता के बीच कहा, 'आक्रामकता और आधिपत्य चीनी लोगों के खून में नहीं है। हमारे लोग राष्ट्रीय विकास को सफलतापूर्वक प्राप्त करने की आशा करते हैं, लेकिन वे यह भी उम्मीद करते हैं कि विश्व के सभी लोग सुखी और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करें।'
उन्होंने कहा, 'चीन विश्व शांति का समर्थक, वैश्विक विकास में योगदान देने वाला और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक बना रहेगा, और हम मानवता के लिए और भी अधिक योगदान देने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे।' चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया के समूह 'क्वाड' और 'ऑकस' के हवाला देते हुए कहा, 'साहस और कौशल के माध्यम से, हम उन सभी प्रमुख खतरों और चुनौतियों पर काबू कर पाएंगे जो राष्ट्रीय कायाकल्प के हमारे मार्ग को बाधित कर सकते हैं और अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की दृढ़ता से रक्षा करेंगे।' ऑकस में अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।