नई दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बड़ा कदम उठाया है। जिनपिंग ने भारतीय सीमा पर तैनात रहने वाली अपनी पश्चिमी थियेटर कमान के प्रमुख जनरल झाओ जोंगकी का तबादला कर दिया है। भारत से लगे एलएसी की सुरक्षा एवं निगरानी की जिम्मेदारी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA)की इसी कमान पर है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ पिछले करीब सात महीने से जारी गतिरोध के लिए जोंगकी को एक प्रमुख कारण माना जाता है। चीन के राष्ट्रपति ने जनरल जोंगकी की जगह जिनरल झांग जुडोंग को तैनात किया है।
भारतीय सीमा पर तैनाती का अनुभव जनरल झांग के पास नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक जनरल झांग भारतीय सीमाओं से अनभिज्ञ हैं। इससे पहले भारतीय मोर्चे पर उनकी तैनाती नहीं हुई है। पश्चिमी थियेटर कमान में इतने बड़े फेरबदल पर नई दिल्ली की नजर है। इस नियुक्ति के बाद भारत ने सीमा पर तनाव कम होने की उम्मीद जताई है। समझा जाता है कि भारत के प्रति झांग का रुख उतना कड़ा नहीं है जितना कि जनरल जोंगकी का है। जनरल जोंगकी ही 2017 के डोकलाम गतिरोध के कर्ताधर्ता थे और भारत एवं भूटान के खिलाफ अपने रुख के लिए वे जाने जाते हैं।
58 साल के हैं जनरल झांग
ऐसा पहली बार है जब चीन ने अपने पश्चिमी थियेटर की कमान ऐसे अधिकारी को सौंपी है जिसके पास भारतीय सीमा पर तैनात होने का कोई अनुभव नहीं है। जनरल झांग की उम्र अभी 58 साल है जबकि जनरल जोंगकी इस साल 65 साल के हो गए। यह उनकी रिटायरमेंट की उम्र भी है। रिपोर्ट में सेना के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, 'अगली सैन्य कमांडर वार्ता के दौरान पीएलए कमांडर का रुख एवं तरीका चीनी सेना के जटिल सोच के बारे में कुछ प्रकाश डाल सकेगी।' अधिकारी का कहना है कि 'हम अच्छे की उम्मीद कर रहे हैं। अगली दौर की जब सैन्य वार्ता होगी उस समय हम कुछ स्पष्टता चाहेंगे।'
सेवा विस्तार पर हैं जनरल झाओ
साल 2016 में पीएलए की पश्चिमी थियेटर कमान की जिम्मेदारी संभालने वाले जनरल झाओ पहले से ही अपने सेवा विस्तार पर हैं। वह इस गर्मी में अपनी रिटायरमेंट की उम्र 65 साल पर पहुंच गए लेकिन राष्ट्रपति जिनपिंग ने उन्हें अपने पद पर बने रहने के लिए कहा था। नई दिल्ली का आंकलन है कि अप्रैल-मई के महीने में चीन की सेना ने जब पैंगोंग त्सो झील के पास फिंगर एरिया में जब शुरुआती अतिक्रमण किया तो इसकी अनुमति शी के नेतृत्व वाले सेंट्रल मिलिट्री कमीशन से मिली थी।
पीएलए के दुस्साहस को भारतीय सेना ने दिया है करारा जवाब
इसके बाद जून में गलवान घाटी की हिंसक झड़प एवं दुस्साहस के बाद चीनी पक्ष में थोड़ी बेचैनी दिखी। इसके बाद सीमा पर चीनी सेना की तरफ से हर एक आक्रामक रुख का भारतीय सेना ने जिस तरह से जवाब दिया और रणनीतिक रूप से ऊंची चोटियों को अपने नियंत्रण में लिया उससे पीएलए को सामरिक रूप से नुकसान हुआ।