COP26: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच ग्‍लासगो में संपन्‍न हुआ नया समझौता, भारत के रुख को मिली सराहना

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Updated Nov 14, 2021 | 12:59 IST

स्‍कॉटलैंड के ग्‍लासगो में आयोजित COP26 में दुनिया के लगभग 200 देशों ने नए जलवायु समझौते को लेकर सहमति जताई। इसमें जीवाश्‍म ईंधन के इस्‍तेमाल को चरणबद्ध तरीके से सीम‍ित किए जाने के भारत के रुख को कई देशों ने सराहा।

COP26
स्कॉटलैंड के ग्‍लासगो में आयोजित COP26 में दुनिया के लगभग 200 देशों ने नए जलवायु समझौते पर सहमति जताई  |  तस्वीर साभार: AP

लंदन : जीवाश्म ईंधनों का उपयोग 'चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय, इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करने' के भारत के सुझाव को महत्व देते हुए ग्लासगो में सीओपी26 शिखर सम्मेलन में लगभग 200 देश शनिवार को एक जलवायु समझौते के लिए तैयार हो गए। इसके साथ ही ग्लासगो जलवायु समझौता हानिकारक जलवायु प्रभाव वाली ग्रीनहाउस गैसों के लिए जिम्मेदार कोयले के उपयोग को कम करने की योजना बनाने वाला पहला संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौता बन गया है। समझौते में शामिल देश अगले साल कार्बन कटौती पर चर्चा करने के लिए भी सहमत हुए हैं ताकि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके।

सीओपी26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने समझौते की घोषणा करते हुए कहा, 'अब हम इस धरती और इसके वासियों के लिए एक उपलब्धि के साथ इस सम्मेलन से विदा ले सकते हैं।' हालांकि, कई देशों ने जीवाश्म ईंधन पर भारत के रुख की आलोचना की। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्लासगो जलवायु शिखर सम्मेलन में पूछा कि कोई विकासशील देशों से कोयले और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को 'चरणबद्ध तरीके से बंद करने' के वादे की उम्मीद कैसे कर सकता है, जबकि उन्हें अब भी उनके विकास एजेंडा और गरीबी उन्मूलन से निपटना है।

कैसे हासिल करेंगे नेट-जीरो का लक्ष्‍य?

पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा, 'अध्यक्ष महोदय (शर्मा) सर्वसम्मति बनाने के आपके निरंतर प्रयासों के लिए धन्यवाद। हालांकि, सर्वसम्मति बन नहीं पायी। भारत इस मंच पर रचनात्मक बहस और न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाधान के लिए हमेशा तैयार है।' मंत्री ने कहा कि जीवाश्म ईंधन और उनके उपयोग ने दुनिया के कुछ हिस्सों को सम्पन्नता और बेहतरी प्राप्त करने में सक्षम बनाया है और किसी विशेष क्षेत्र को लक्षित करना ठीक नहीं है।

Indian minister for Environment and Climate Change Bhupender Yadav attends a stocktaking plenary session at the COP26 U.N. Climate Summit in Glasgow, Scotland, Saturday, Nov. 13, 2021. Going into overtime, negotiators at U.N. climate talks in Glasgow are still trying to find common ground on phasing out coal, when nations need to update their emission-cutting pledges and, especially, on money. (AP Photo/Alastair Grant)

यादव ने जोर देकर कहा कि हर देश अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों, ताकत और कमजोरियों के अनुसार 'नेट-जीरो' के लक्ष्य पर पहुंचेगा। उन्होंने कहा, 'विकासशील देशों को वैश्विक कार्बन बजट में अपने उचित हिस्से का अधिकार है और वे इस दायरे में जीवाश्म ईंधन के जिम्मेदार उपयोग के हकदार हैं। ऐसी स्थिति में, कोई कैसे उम्मीद कर सकता है कि विकासशील देश कोयला और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी ​​को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के बारे में वादा कर सकते हैं, जबकि ​​विकासशील देशों को अब भी अपने विकास एजेंडा और गरीबी उन्मूलन से निपटना है।'

'LPG पर दी जा रही सब्सिडी'

उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए, हम (भारत) कम आय वाले परिवारों को एलपीजी के उपयोग के लिए सब्सिडी दे रहे हैं। यह सब्सिडी खाना पकाने के लिए बायोमास जलने को लगभग समाप्त करने और घरों के अंदर वायु प्रदूषण में कमी से स्वास्थ्य में सुधार करने में बहुत मददगार रही है।'

भारत में जन्मे ब्रिटिश कैबिनेट मंत्री और शिखर सम्मेलन के प्रभारी शर्मा ने मसौदे पर कुछ देशों की आलोचना के बीच कहा, 'मुझे गहरा खेद है।' उन्होंने कहा, 'मैं गहरी निराशा को भी समझता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि यह भी महत्वपूर्ण है कि हम इस समझौते में किए गए वादों को निभाएं।'

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