नई दिल्ली। कोरोना वायरस का सामना करने के लिए जितनी व्यवस्था उपलब्ध है उसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वायरस को ड़ से खत्म करने के लिए दुनिया के अलग अलग देशों में शोध चल रहा है, कुछ देशों ने कामयाब वैक्सीन का दावा किया है और रूस उनमें से एक है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने कहा है कि उनके देश में बनी वैक्सीन ट्रायल में कामयाब हुई है। इसके साथ ही उप स्वास्थ्य मंत्री ओलेग ग्रिदनेव ने कहा कि 12 अगस्त को दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन को रूस पंजीकृत कराएगा। अगर सबकुछ सही रहा तो अक्टूबर से रूस में वैक्सीनेशन का काम भी शुरू हो सकता है।
वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल 100 फीसद कामयाब होने का दावा
रूस ने कहा था कि कोरोना वायरस वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में 100 फीसदी सफल रही है। वैक्सीन को रूस के रक्षा मंत्रालय और गमलेया नैशनल सेंटर फॉर रिसर्च ने तैयार किया है। क्लिनिकल ट्रायल में जिन लोगों को यह कोरोना वैक्सीन लगाई गई, उन सभी में SARS-CoV-2 के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई गई। ट्रायल 42 दिन पहले शुरू हुआ था। उस समय वॉलंटियर्स (वैज्ञानिक शोधकर्ता) को मास्को के बुरदेंको सैन्य अस्पताल में कोरोना वैक्सीन लगाई गई थी। वैक्सीन लगाने के बाद जांच की गई और यह पाया गया कि सभी लोगों में कोरोना वायरस के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हुई है। इस जांच परिणाम के बाद सरकार ने रूसी वैक्सीन की तारीफ की है।
अक्टूबर से वैक्सीनेशन की रूस बना रहा है योजना
रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वैक्सीन लगाये जाने के बाद अध्ययन में यह बात साफ हुई है कि वैक्सीन लगने की वजह से लोगों के अंदर मजबूत रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया विकसित हुई है। किसी भी वालिंटियर के अंदर नकारात्मक साइड इफेक्ट या परेशानी नहीं आई। यह प्रयोगशाला अब बड़े पैमाने पर जनता में इस्तेमाल से पहले सरकार की स्वीकृति लेने जा रही है। रूस ने दावा किया है कि वह कोरोना वायरस के खिलाफ जारी वैश्विक लड़ाई में कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने में वह दूसरों से कई महीने आगे चल रहा है। बताया जा रहा है कि क्लिनिकल ट्रायल में सफलता के बाद अब रूस वैक्सीन की प्रभावी क्षमता को परखने के लिए तीन व्यापक परीक्षण करने जा रहा है।