नई दिल्ली। अगर पहली नजर में देखा जाए कि कोरोना फैलाने का गुनहगार कौन है तो लोग एक सुर में बोलते हुए नजर आते है कि कोई और नहीं बल्कि चीन है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शी जिनपिंग को खरी खरी सुनाते हैं। लेकिन एक ऐसी खबर सामने आई है जिसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया से चीन खफा खफा है, अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि चीन भड़का हुआ है।
ऑस्ट्रेलिया आने वाले छात्रों का खुद टेस्ट कराएगी सरकार
दरअसल ऑस्ट्रेलिया सरकार ने फैसला किया है कि चो लोग चीन से आएंगे चाहे वो छात्र हों या पर्यटक सरकार कोविड-19 का टेस्ट कराएगी। अब ऑस्ट्रेलिया के इस ऐलान को चीन ने अपमानजनक माना है और कहा कि अगर ऐसा होता है तो चीनी छात्र या पर्यटक ऑस्ट्रेलिया नहीं जाएंगे। चीन के राजदूत चेंग जिंग्ये ने कहा कि यह तो खतरनाक ट्रेंड की शुरुआत है। वो यहां तक कहते हैं ऑस्ट्रेलिया के इस कदम चीन के प्रति दोस्तान व्यवहार नहीं माना जाएगा।
चीनी राजदूत हुए आगबबूला
अगर ऐसा होता है तो चीनी छात्र और पर्यटक ऑस्ट्रेलिया जाने के बारे में सोचेंगे। चीनी राजदूत का कहना है कि यह बात सच है कि उनका देश इस मामले पर सही ढंग से कदम नहीं उठा सका। लेकिन ऑस्ट्रेलियन सरकार जिस तरह से इस केस में आगे बढ़ रही है उसकी वजह से चीनी लोगों में निराशा है।
चीनी राजदूत फिर कहते हैं कि फर्ज करें कि लोगों का मूड और खराब होता है तो वो सभी लोग यह सोचने पर मजबूर होंगे कि ऐसे देश में क्यों जाना जिसका व्यवहार चीन के प्रति दोस्ताना नहीं है। ऑस्ट्रेलिया में चीनी छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं और इस तरह से उन्हें 30 बिलियन डॉलर का राजस्व मिलता है।
अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन को आपत्ति
कोरोना संकट के बीच रिपब्लिकन सीनेटर ने अपनी सरकार को सलाह दिया है कि चीनी छात्रों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों में साइंस और टेक्नॉलजी की पढ़ाई करने पर रोक लगा देना चाहिए, बेहतर है कि शेक्सपीयर पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि चीनी छात्रों की पढ़ाई का मकसद साफ होता है कि वो यहां पर पढ़ाई करने के बाद अपने देश चले जाते हैं,हमारें यहां नौकरियों में प्रतिस्पर्धा पैदा करते है, हमारे व्यापार पर हमला करते हैं। अमेरिकी सरकार को चीनी नागरिकों के लिए वीजा नियमों को और सख्त बनाने की जरूरत है।