बीजिंग : कोरोना वायरस से जूझ रहे चीन में अब तक 618 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 22,112 लोगों के इस जानलेवा वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है। चीन इस संक्रमण से निपटने के लिए हर कोशिश अपना रहा है। मरीजों के उपचार के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति से लेकर परंपरागत इलाज तक का सहारा लिया जा रहा है। अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए चीन ने रिकॉर्ड 10 दिनों और एक सप्ताह के भीतर वुहान में दो बड़े अस्पताल भी खड़े कर लिए हैं, ताकि बीमारों का उपचार समुचित तरीके से किया जा सके।
कोरोना वायरस के कारण चीन में पैदा हुए हालात न सिर्फ आम लोगों के लिए तकलीफदेह है, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी यह बड़ी चुनौती है, जिनके मरीजों के उपचार के दौरान संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं, ताकि उपचार में किसी तरह की कमी न रह जाए।
चीन में जिस तरह के हालात हैं, उसमें विभिन्न इलाकों से स्वास्थ्यकर्मियों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। मरीजों के उपचार के दौरान संक्रमण की चपेट में आने की आशंका के कारण यह उनके लिए बेहद भावुक कर देने वाला पल होता है, जब वे प्रभावित इलाकों के लिए रवाना होते हैं। यह स्थिति उनके लिए किसी जंग में जाने जैसी साबित हो रही है, जिसमें यह तय नहीं होता कि युद्ध लड़ने वाला जवान वापस जिंदा आएगा या नहीं।
कुछ-कुछ यही हाल चीन के स्वास्थ्यकर्मियों का भी है, जो अपने परिवार को छोड़कर हुबेई प्रांत का रुख कर रहे हैं, जहां इस जानलेवा वायरस का संक्रमण सबसे अधिक है। चीन के शांक्सी प्रांत से जब बुधवार को मेडिकल टीम का तीसरा दस्ता रवाना हुआ तो उसके सदस्य हाओ तीदान के लिए यह भावुक कर देना वाला क्षण थी, जिन्हें अपनी पत्नी और दो दिन की नवजात बेटी को अस्पताल में छोड़कर जाना पड़ा।
पत्नी और नवजात बेटी को छोड़कर जाते समय हाओ भावुक हो गए। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जिसमें वह दोनों से विदा लेते नजर आ रहे हैं। भावुक हाओ यह भी कहा कि जब उनकी बेटी बड़ी होगी तो उसे अपने पिता पर गर्व होगा। सोशल मीडिया पर लोग हाओ सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की खूब सराहना कर रहे हैं, जो तमाम आशंकाओं से घिरे होने के बावजूद मरीजों के उपचार के लिए आगे आ रहे हैं।