नई दिल्ली: महामारी कोरोना वायरस की चपेट में भारत समेत पूरी दुनिया आ गई है। इसी को लेकर अंतरराष्ट्रीय पुलिसिंग संस्था इंटरपोल ने चेतावनी दी है कि क्रिमिनल्स और क्राइम सिंडिकेट्स ने पब्लिक हेल्थ क्राइसिस से लाभ के लिए नए तरीके विकसित कर लिए हैं। इंटरपोल ने कहा है कि अपराधी और संगठित अपराध सिंडिकेट्स घटिया उत्पाद से त्वरित पैसा बनाने के लिए कोरोना वायरस के डर का उपयोग करेंगे।
इंटरपोल ने एक विस्तृत प्रस्तुति में कहा कि घटिया मास्क, सैनिटाइटर और कोरोना 'स्प्रे' जैसे नकली उत्पादों ने बाजार में बाढ़ ला दी है। इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इंटरपोल ने मार्च 2020 में 'ऑपरेशन पैंजिया' शुरू किया, जिसके कारण पूरे 90 देशों में 121 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इंटरपोल ने 14 मिलियन डॉलर के नकली उत्पादों को भी जब्त किया।
सभी सदस्य देशों को दिए गए एक नोट में इंटरपोल ने 'क्या करना है और क्या नहीं करना है' की सूची दी है, जिसका पालन बॉर्डर पेट्रोलिंग सहित कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा किया जाना है। हालांकि, भारत ने 'ऑपरेशन पैंजिया' में भाग नहीं लिया।
इंटरपोल ने कहा है कि COVID-19 महामारी ने तेजी से पैसा कमाने के लिए एक अवसर की पेशकश की है क्योंकि शिकारी अपराधी व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वच्छ उत्पादों की बाजार में ऊंची मांग का लाभ उठाते हैं। मार्च 2020 में प्रवर्तन साझेदारों के साथ इंटरपोल द्वारा चलाए गए ऑपरेशन से सामने आया कि बाजार में उपलब्ध नकली चिकित्सा वस्तुओं में वृद्धि हुई है, जिसमें डिस्पोजेबल सर्जिकल मास्क, हैंड सैनिटाइजर, एंटीवायरल दवा, टीके, COVID 19 परीक्षण किट शामिल हैं।
इनकी कार्य प्रणाली के बारे में बताते हुए इंटरपोल ने कहा कि अपराधी इन वस्तुओं के उत्पादन और वितरण में प्रमुख कंपनियों के नामों का उपयोग करते हैं और पीड़ितों को बैंक ट्रांसजैक्शन के माध्यम से भुगतान करने के लिए कहा जाता है।