कोरोना वायरस का खौफ अभी गया नहीं है, दुनिया के अलग अलग मुल्क इस खतरनाक बीमारी का सामना कर रहे हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण एक बड़ा हथियार है, लेकिन यह भी 100 फीसद हथियार नहीं है, इन सबके के बीच अमेरिका, दुनिया को बताने वाला है कि कोरोना वायरस कहां से फैला। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को मानना है कि इसमें दो मत नहीं कि कोरोना वायरस चीन से फैला, सवाल यह है कि वायरस लैब से बाहर आया या वेट मार्केट से।
खुफिया एजेंसियों को 90 दिन की दिया था वक्त
जो बिडेन जब अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बने तो उन्होंने ऐलान किया कि वो इस बात की तह तक जाएंगे कि कोरोना वायरस का उद्गम कहां से हुआ और उसके लिए इंटेलिजेंस एजेंसियों को 90 दिन का वक्त दिया, अब वो 90 दिन पूरे हो चुके हैं और कभी भी रिपोर्ट पेश की जा सकती है, इन सबके बीच ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि किस तरह से बिडेन की खुफिया टीम ने 90 दिन के भीतर कोरोना से संबंधित रिपोर्ट को तैयार किया है।
'अमेरिका को पता है सच फिर भी बदनाम करने का खेल'
चीनी मुखपत्र का कहना है कि सच तो यह है कि बिना पुख्ता सबूत और परिस्थतिजन्य साक्ष्यों के आधार पर अमेरिका चीन को बदनाम करना चाहता है। ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि यूएस के विशेषज्ञ भी इस बात को समझते हैं कि लैब से वायरस के लीक होने की थ्योरी को साबित नहीं किया जा सकता है फिर भी अमेरिकी प्रशासन अपने हिसाब से रिपोर्ट बनवा रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने सीएनएन का हवाला देते हुए कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी के 22 हजार डेटा का अध्ययन विशेषज्ञों ने किया है लेकिन किसी को अभी तक पुख्ता सबूत नहीं मिला है कि wiv से ही वायरस लीक हुए थे।
चीन के संबंध में अमेरिका की कोरी कल्पना
चीन के वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि जब आप बाहर से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करेंगे तो पुख्ता तौर पर आप यह कैसे मान सकते हैं कि कोरोना वायरस लैब से लीक हुआ था। बड़ी बात यह है कि जब आप सार्वजनिक हुए डेटा का विश्लेषण करते हैं तो नतीजे तक पहुंचने के लिए आप के पास तमाम रास्ते होते हैं ऐसे में डेटा में हेरफेर संभव है और ऐसे में जांच करने वाली एजेंसी अपने फायदे के हिसाब से नतीजा निकाल सकती है।
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि जब शुरू में इस तरह की बातें सामने आईं कि वुहान के लैब से ही वायरस फैला तो अमेरिकी एजेंसियों की तरफ से कोशिश की गई अंदरखाने से जानकारी मिली। इससे भी बड़ी बात यह है कि अगर अमेरिका कहता है कि उसके पास पुख्ता प्रमाण हैं कि चीन ही दोषी है तो पूर्व विदेश सचिव माइक पोंपियो इस बात का जरूर जिक्र करते। सच यह है कि अमेरिका सिर्फ कल्पना के आधार पर चीन का नाम लेता है।