कोरोना महामारी से दुनियाभर में अब तक करोड़ों लोग प्रभावित हो चुके हैं। साथ ही, कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। वहीं इस महामारी से निपटने के लिए कई देश के शोधकर्ता वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। इस मुश्किल परिस्थिति में खतरों की परवाह किए बिना दीपक कोविड-19 वैक्सीन अभियान का हिस्सा बने हैं। भारतीय मूल के 42 वर्षीय दीपक पालीवाल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन के लिए वॉलंटियर के रूप में हिस्सा लिया है।
मीडिया से बात करते हुए दिपक ने बताया कि उन्होंने सोचा कि आखिर वह किस तरह से कोरोना वायरस के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अपना योगदान दे सकते हैं। इसके बाद उन्होंने तय किया कि ह्यूमन ट्रायल के लिए वॉलंटियर के रूप में इनरॉल होंगे। उन्होंने बताया कि अप्रैल में ह्यूमन ट्रायल के बारे में सीखा, जब वह प्रारंभिक जांच और स्क्रीनिंग के लिए लंदन के पांच केंद्रों में से एक का दौरा कर रहे थे।
इस बारे में जब उन्होंने अपनी पत्नी को बताया तो उन्होंने इस फैसले का समर्थन नहीं किया। दिपक ने बताया कि अपने इस फैसले के बारे में वह सिर्फ पत्नी और दोस्तों को बताया था, लेकिन मैंने सफलता और असफलता के बारे में नहीं सोचा। मैं सिर्फ यह सोच कर शामिल हुआ कि अपना बेस्ट देख सकूं और अब इसका हिस्सा बनकर काफी खुश हूं।
दिपक ने बताया कि वह इससे कुछ अच्छा चाहते थे और यह ट्रायल दूसरों से काफी अलग है, क्योंकि इसमें समय की आवश्यकता है। ट्रायल के दौरान उन्हें अलग-अलग खतरों के बारे में बताया गया था। इन संभावित खतरों से ऑर्गन फेल या फिर पीड़ित हो सकते थे।बता दें कि दिपक भारत में जयपुर (राजस्थान) के रहने वाले और लंदन में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। उनका यह ट्रायल सफल रहा है और जिसके लिए उनका परिवार काफी खुश है।