मॉस्को: भारत और चीन के बीच पिछले कई महीनों से पूर्वी लद्दाख में तनाव बना हुआ है। वास्तविक नियंत्रण रेखा और पैंगोंग लेक इलाके में दोनों की सेनाएं आमने सामने हैं। कई दौर की कमांडर स्तर की बातचीत का अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। इस बीच शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की बैठक के लिए रूस पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंघे के बीच शुक्रवार रात एक अहम बैठक हुई।
शीर्ष स्तर की इस बैठक का आयोजन चीनी समकक्ष के आग्रह पर किया गया है। खबरों की मानें तो दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में सीमा पर बढ़ते तनाव को कम करने के तरीकों पर चर्चा की। सूत्रों ने कहा कि दोनों रक्षा मंत्रियों की वार्ता में लंबे समय से चले आ रहे सीमा गतिरोध को सुलझाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं और इन तस्वीरों में वह जिस अंदाज में दिख रहे हैं उससे जाहिर होता है कि उनके तेवर आक्रामक रहे होंगे।
मई से शुरू हुआ है तनाव
मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहली टॉप लेवल की बैठक है। हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विवाद को लेकर अपने चीनी समकक्ष वांग यी से टेलीफोन पर बातचीत की थी। इस बैठक के लिये चीनी रक्षा मंत्री की तरफ से अनुरोध किया गया है। बैठक से पहले विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा कि हम अपनी क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध हैं।
विदेश सचिव का अहम बयान
एक बयान जारी करते हुए विदेश सचिव श्रृंगला ने भारत- चीन सीमा गतिरोध पर बात करते हुए कहा,कई दशकों में सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक का हमने सामना किया है। हम बातचीत के माध्यम से लंबित मुद्दों को सुलझाना चाहते हैं।' दरअसल दोनों देशों के बीच तनाव तब और बढ़ गया था जब पांच दिन पहले पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जे का असफल प्रयास किया वह भी तब जब दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य बातचीच के जरिये विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
आमने सामने हैं दोनों देशों की सेनाएं
दोनों देशों की सेनाएं एलएसी पर भारी हथियार और टैंक तथा तोपों के साथ आमने-सामने हैं। भारत पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले इलाकों पर मुस्तैद है और चीन की किसी कार्रवाई को नाकाम करने के लिये ‘फिंगर-2’ और ‘फिंगर-3’ में अपनी मौजूदगी और मजबूत की है। चीन ने भारत के कदम का कड़ा विरोध किया है।
आपको बता दें कि इसी साल जून माह के दौरान गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि चीन के भी कई जवान मारे गए जिनके बारे में चीन ने अभी तक खुलासा नहीं किया है। इसके बाद दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच कई स्तर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीज नहीं निकल सका है।