जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने और नस्ली समानता के लिए जंग लड़ने वाले डेसमंड टूटू का निधन हो गया है। वह 90 वर्ष के थे। उन्होंने न केवल घरेलू स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी असमानता के खिलाफ जनता की राय को मजबूत करने के लिए लगातार सार्वजनिक प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेसमंड टूटू के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह दुनियाभर में अनगिनत लोगों के मार्गदर्शक थे।
नस्ली समानता और एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों के संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डेसमंड टूटू के निधन की जानकारी रविवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने दी। उन्होंने बताया कि रंगभेद के कट्टर विरोधी और नस्ली समानता के पैरोकार डेसमंड टूटू का 90 साल की उम्र में निधन हो गया। वह केप टाउन के सेवानिवृत्त एंग्लिकन आर्चबिशप भी थे।
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ डेसमंड टूटू (AP)
रंगभेद के विरोधी, अश्वेत लोगों के दमन वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रूर शासन के खात्मे के लिए टूटू ने अहिंसक रूप से अथक प्रयास किए। जोहानिसबर्ग के पहले अश्वेत बिशप और बाद में केप टाउन के आर्चबिशप के रूप में उन्होंने अपने उपदेश-मंच का इस्तेमाल करते हुए घरेलू तथा वैश्विक स्तर पर नस्ली भेदभाव के खिलाफ जनता की राय को मजबूत करने की दिशा में लगातार सार्वजनिक प्रदर्शन किया।
प्रिंस हैरी और मेगन मर्केल के साथ डेसमंड टूटू (AP)
भारत में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेसमंड टूटू के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह दुनियाभर में असंख्य लोगों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह थे और मानवीय गरिमा एवं समानता के लिए उनके संघर्ष को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने ट्वीट किया, 'आर्कबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू अनगिनत लोगों के मार्गदर्शक थे। मानवीय गरिमा एवं समानता पर उनके जोर को हमेशा याद रखा जाएगा। मैं उनके निधन से बहुत दुखी हूं और उनके सभी प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।'