इस्लामाबाद : प्रधानमंत्री इमरान खान की चेतावनी के बावजूद विपक्षा पार्टियों का गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) अपने प्रस्तावित सरकार विरोधी रैली के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। विपक्षी दलों की यह रैली लाहौर में होनी है। इमरान सरकार ने विरोधी दलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। विपक्षी दलों की इस्लामाबाद में रविवार को बैठक हुई जिसके बाद प्रस्तावित रैली के साथ आगे बढ़ने का फैसला है। 13 दिसंबर को लाहौर में विपक्ष की रैली है।
'रैली से कोरोना फैलने का खतरा'
इमरान सरकार का कहना है कि इस रैली से कोविड-19 का संक्रमण फैलने का खतरा है और ऐसा होने पर वह कानूनी कार्रवाई करेगी। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी दलों ने इस बैठक लाहौर रैली को अंतिम रूप देने के लिए अपने अगले चरण की रणनीति पर चर्चा की। सोमवार को लाहौर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीपीपी के नेता कमर जमान कैरा ने कहा कि 13 दिसंबर को होने वाली विपक्ष की रैली को रोकने के लिए सरकार ने अपनी रणनीति बदल दी है।
इमरान सरकार पर बरसे पीपीपी नेता
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को यह पता नहीं है कि इस तरह की चीजों से रैलियां नहीं रुकतीं। मार्शल ला भी रैलियों एवं आंदोलनों को दबा नहीं सका। पीपीपी नेता ने कहा कि पाकिस्तान के लोग मौजूदा सरकार से निराश हो चुके हैं। इमरान सरकार को 'फासीवादी' करार देते हुए उन्होंने कहा कि 'उनके लिए जाने का समय आ गया है।'
लाहौर में 13 दिसंबर को है रैली
कैरा ने आगे कहा कि पीडीएम ने स्थिति की समीक्षा की है और लाहौर की आगामी रैली के तैयारी के लिए समितियों का गठन किया है। पीडीएम ने फैसला किया है कि लाहोर में 13 दिसंबर की रैली होगी। उन्होंने कहा, 'लाहौर रैली में हजारों कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे। इसके लिए बड़े इंतजाम की जरूरत है। इसके लिए एक मजबूत व्यवस्था की जरूरत होगी।' एक निजी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में इमरान खान ने कहा कि उनकी सरकार विपक्षी पार्टियों को अपनी रैली करने के लिए इजाजत नहीं देगी, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उन्हें रोकेगी भी नहीं। वहीं, फजलुर रहमान ने कहा है कि इमरान सरकार यदि बल का प्रयोग करती है तो वह उसका जवाब देंगे।