भारत और रूस के बीच संबंध ऐतिहासिक हैं, समय समय पर दोनों देशों के रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरे। वर्तमान समय में जब यूक्रेन और रूस के बीच जंग छिड़ी हुई है तो दुनिया के देश अपने संबंधों की व्याख्या अपनी तरह से कर रहे हैं। यूक्रेन और रूस की लड़ाई में भारत का पक्ष अब तक यही रहा है कि जंग किसी समस्या का समाधान नहीं है, बातचीत ही समस्या सुलझाने का रास्ता है। इन सबके बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की भारत यात्रा पर अमेरिका की तरफ से बड़ा बयान आया है। अमेरिका विदेशी विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि वैसे तो उनका देश भारत-रूस के बीच संबंधों में किसी तरह के बदलाव की अपेक्षा नहीं करता। लेकिन यह सोच जरूर है कि सभी देश उन बातों पर ध्यान दें जो एक सुर में रूस के बारे में कही जा रही है।
किसी के संबंधों में रोड़ा बनना नहीं चाहते
नेड प्राइस ने कहा कि अलग अलग देशों के रूसी संघ के साथ अपने संबंध हैं और यह ऐतिहासिक तथ्य है। यह भूगोल का सच है। ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम बदलना चाहते हैं। हम जो करना चाह रहे हैं चाहे वह भारत के संदर्भ में हो या दुनिया भर के अन्य साझेदारों और सहयोगियों के संदर्भ में हो हम यह देखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एक स्वर में बोल रहा है। अनुचित, अकारण, पूर्व नियोजित आक्रामकता के खिलाफ जोर से बोलना, हिंसा को समाप्त करने की बात करना ही हमारा मकसद है।
रुपए-रूबल में व्यापार की समीक्षा करेंगे
भारत के साथ व्यापार के लिए रुपये-रूबल रूपांतरण पर विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि वो अपने भारतीय भागीदारों के साथ जिक्र करेंगे। , क्वाड के मूल सिद्धांतों में से एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का विचार है। यह इंडो-पैसिफिक के संदर्भ में विशिष्ट है। लेकिन ये सिद्धांत हैं, ये आदर्श हैं जो किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को पार करते हैं। उन्होंने कहा कि क्वॉड निश्चति तौर पर सदस्य देशों की साझा जरूरतों को बराबरी के आधार पर पूरा करने के लिए बनाया गया है। मौजूदा यूक्रेन-रूस संकट से क्वॉड पर असर नहीं पड़ने वाला है।
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क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि अमेरिका की कोशिश है कि भारत उसके पाले में आ जाए। अमेरिकी सोच स्पष्ट है कि किसी भी तरह से रूस के साथ भारतीय नजदीकी और ना बढ़े। दरअसल अमेरिका को लगता है कि अगर भारत और रूस एक दूसरे के करीब और आए तो उसका असर दोनों देशों के व्यापार पर पड़ेगा खासतौर से रक्षा व्यापार प्रभावित होगा। ऐसे में अमेरिका की कोशिश की होगी कि भारत का झुकाव रूस की तरफ कम से कम हो।