Bangladesh Economic Crisis:भारत के एक और पड़ोसी देश में जनता सड़क पर उतर आई है। बांग्लादेश में एक झटके में पेट्रोल की कीमतों में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी करने से वहां पर कई शहरों में जनता प्रदर्शन कर रही हैं। आईएमएफ से कर्ज लेने की खबरों की बीच शेख हसीना सरकार ने पेट्रोल के दाम में 51 फीसदी तो डीजल के में 42 फीसदी तक का इजाफा किया है। इस बीच यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या बंग्लादेश का हाल भी पाकिस्तान, श्रीलंका जैसा हो सकता है।
कितने गंभीर हैं आर्थिक हालात
बांग्लादेश में आर्थिक हालात किस तरह के हैं, इसके लेकर अटलांटिक काउंसिल की एक रिपोर्ट तस्वीर से साफ होती है। बांग्लादेश ने IMF से 4.5 अरब डॉलर राहत पैकेज की मांग की है। यह रकम अगले तीन साल में बांग्लादेश हासिल करना चाहता है। जिससे कि वह बढ़ते आयात बिल को नियंत्रित कर सके। इसके अलावा करीब 2.5-3 अरब डॉलर के कर्ज की मांग जापान की एजेंसी JICA से भी की गई है। रिपोर्ट कहती है कि ऊंची लागत वाले बड़े प्रोजेक्ट्स, बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते डिफॉल्ट और पॉवर सेक्टर में संसाधनों के दुरूपयोग से मौजूदा स्थिति बनी है।रिपोर्ट के अनुसार पद्मा ब्रिज प्रोजेक्ट, ढाका सिटी मेट्रो ,रूपर न्यूक्लियर प्लांट ऐसे बड़े प्रोजेक्ट हैं जिनमें देरी से लागत काफी ज्यादा हो चुकी है। इसी तरह विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में सड़क निर्माण की लागत सबसे ज्यादा है।
इसके अलावा बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार एक साल में 45.7 अरब डॉलर से घट कर 27 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार 39.48 अरब डॉलर पर आ गया है। और इसका असर यह हुआ है कि जून 2022 में बांग्लादेश का व्यापार घाटा 33.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
श्रीलंका-पाकिस्तान जैसे हालात से अभी नहीं
भले ही बंग्लादेश ने आईएमएफ से श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह कर्ज की मांग की है। लेकिन अभी कई ऐसे इंडीकेटर हैं, जहां पर वह बेहतर स्थिति में है। पहली बात बंग्लादेश में महंगाई दर इस समय 40 साल के उच्चतम स्तर पर है। इसके बावजूद वह जून के महीने में 7.9 फीसदी थी। वहीं पाकिस्तान में यह 21.3 फीसदी और श्रीलंका में 58.9 फीसदी है। हालांकि तेल की कीमतों में 50 फीसदी बढ़ोतरी निश्चित तौर पर महंगाई बढ़ाएगी। लेकिन पाकिस्तान या श्रीलंका जैसी स्थिति में फिलहाल होती नहीं दिख रही है।
इसी तरह विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति देखी जाय तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दावा किया है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बावजूद, 6-9 महीने के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार है। और यह स्थिति अर्थव्यवस्था के तबाही के संकेत नहीं देती है। आम तौर पर जब 3 महीने से कम का विदेशी मुद्रा भंडार बचता है तो वह अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक संकेत हो जाता है। श्रीलंका और पाकिस्तान इस स्थिति में पहुंच गए हैं।
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बांग्लादेश का जीडीपी के मुकाबले कर्ज अनुपात भी श्रीलंका या पाकिस्तान जैसी स्थिति के संकेत फिलहाल नहीं दे रहा है। 2021 के आंकड़ों के अनुसार श्रीलंका का जीडीपी के मुकाबले कर्ज अनुपात करीब-करीब 100 पहुंच चुका था, जबकि पाकिस्तान करीब 87 फीसदी वहीं बांग्लादेश का 40 फीसदी था।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश की मुद्रा टका पिछले एक साल में डॉलर के मुकाबले 10 फीसदी गिरी है। और इस समय वह एक डॉलर के मुकाबले 94.79 टका है। जबकि श्रीलंका की मुद्रा पिछले एक साल में करीब 44.5 फीसदी और पाकिस्तान की मुद्रा 23 फीसदी गिरी है।