Economic Crisis In Sri Lanka: श्रीलंका के 2.2 करोड़ से ज्यादा लोग इस समय अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। खाने-पीने की चीजों से लेकर सभी जरूरी चीजें आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही है। श्रीलंका में खाद्य महंगाई दर 30 फीसदी पहुंच गई है। तो पेट्रोल-डीजल जैसी जरूरी चीजों की भारी किल्लत से गाड़ियां सड़कों पर खड़ी हैं। हालात यह है कि 1948 में आजाद होने के बाद श्रीलंका अपने सबसे बड़े बुरे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। और इस गंभीर संकट की एक बड़ी वजह चीन की कर्ज कूटनीति है। जिसके कुचक्र में श्रीलंका बुरी तरह फंस चुका है।
चीन के भंवर में ऐसे फंसा
श्रीलंका इस समय जिस आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, उसकी सबसे बड़ी वजह, उसके ऊपर भारी विदेशी कर्ज का बोझ है। श्रीलंका के ऊपर कुल 45 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। और उसमे से अकेले 5-8 अरब डॉलर के बीच चीन का कर्ज है। और दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि चीन के कर्ज से जो प्रोजेक्ट श्रीलंका में बनाए गए, वह कमाई नहीं कर रहे हैं। ऐसे में उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटता जा रहा है। जिस कारण उसके लिए अपनी देनदारियां चुकाना मुश्किल हो गया है। सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि चीन इस संकट में श्रीलंका को कर्ज चुकाने में कोई राहत नहीं दे रहा है। जिसकी वजह से श्रीलंका में खाने-पीने की चीजों की कमी से लेकर ईंधन की कमी हो गई है।
यही नहीं, ऐसी खबरें हैं कि चीन ने भारी-भरकम कर्ज के भुगतान पर रियायत देने की श्रीलंका की अपील को भी इंकार कर दिया है। थिंक टैंक यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के अनुसार, श्रीलंका को इस साल कुल 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का कर्ज चुकाना है, जिसमें जुलाई में मेच्योर होने वाला 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सॉवरेन बॉन्ड भी शामिल है।
भारत कर रहा है मदद
इस संकट में श्रीलंका की भारत अपने तरफ से लगातार सहयोग कर रहा है। उसने जनवरी से अब तक 2.4 बिलियन अमरीकी डालर की मदद की है, जिसमें 400 मिलियन अमरीकी डालर की फॉरेन एक्सचेंज और 500 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण स्थगन शामिल है। पिछले महीने, श्रीलंका ने भोजन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए भारत के साथ 1 बिलियन अमरीकी डालर की क्रेडिट लाइन पर भी हस्ताक्षर किए है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)