Russia-Ukraine War:यूरोपीय संघ ने यूक्रेन की एक बड़ी मांग मान ली है। यूरोपीय संघ (ईयू) ने गुरुवार को समूह की सदस्यता के लिए यूक्रेन को उम्मीदवार का दर्जा दे दिया है। यूक्रेन को यह दर्जा उस समय मिली है, जब रूस और यूक्रेन युद्ध के 4 महीने पूरे हो गए हैं। उम्मीदवार का दर्जा मिलने के बाद, यूक्रेन के लिए यूरोपीय संघ का सदस्य बनने की राह आसान हो गई है। सदस्य बनने के बाद न केवल यूक्रेन को यूरोपीय संघ के 27 देशों का खुला बाजार मिलेगा। बल्कि उसकी सुरक्षा भी बढ़ेगी। इस फैसले पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने ट्वीट कर कहा है कि यूक्रेन का भविष्य यूरोपीय संघ के साथ रहकर है। युद्ध शुरु होने के बाद ही यूक्रेन ने यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिए आवेदन किया था। इस कदम को रूस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
NATO की राह होगी आसान !
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की सबसे बड़ी वजह, यूक्रेन का NATO के प्रति करीबी होना रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन हमेशा से कहते रहे हैं कि अगर यूक्रेन NATO में शामिल होगा तो वह रूस के लिए बड़ा खतरा होगा। लेकिन 4 महीने से चल रहे युद्ध और यूक्रेन में मची तबाही के बाद अब यूक्रेन के राष्ट्रपित वोलोदिमीर जेलेंस्की युद्ध के लिए इसी ओर बढ़ना सुरक्षित रास्ता रह गया है। यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के अलावा पूर्व सोवियत संघ के एक अन्य देश मोल्डोवा को भी सदस्यता की ओर ले जाने की मंजूरी दे दी है। मोल्डोवा की सीमा यूक्रेन से लगती है। ऐसे में यूरोपीय संघ में इन दोनों के शामिल करने की ओर कदम बढ़ने से, यूक्रेन के लिए NATO की सदस्यता अगला कदम हो सकती है।
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ये देश भी वेटिंग लिस्ट में
यूरोपीय संघ की वेबसाइट के अनुसार यूक्रेन और मोल्डोवा की तरह 5 देश भी वेटिंग लिस्ट में हैं। इस समय टर्की, अल्बानिया,मोंटेनेग्रो, नॉर्थ मेसेडोनिया, सर्बिया भी उम्मीदवार का दर्जा हासिल कर चुके हैं। हालांकि यूरोपीय संघ की सदस्यता पाने की लंबी प्रक्रिया है। ऐसे में यूक्रेन के लिए दूसरे देशों की सूची को देखते हुए तुरंत सदस्य बनना मुश्किल है। क्योंकि सदस्यता हासिल करने के लिए यूक्रेन को अभी कई मानक पूरे करने होंगे। पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए , यूक्रेन को सदस्यता हासिल करने में कम से कम 2 साल का समय लग सकता है।
क्या मिलेगा फायदा
युद्ध में तबाह हो चुके, यूक्रेन को सदस्य बनने के बाद सबसे बड़ा फायदा आर्थिक तौर पर मिलेगा। क्योकि उसे संघ के 27 देशों का खुला बाजार मिल जाएगा। इसके अलावा उसकी मुद्रा भी यूरो हो जाएगी। ऐसे में यूक्रेन को आर्थिक मदद मिलना भी आसान होगा। जो कि युद्ध खत्म होने के बाद उसके पुनर्निर्माण के के लिए बेहद जरूरी होगा। इसके अलावा वहां के नागिरकों के लिए संघ के देशों आना-जाना आसान हो जाएगी। इसी तरह सैन्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।