पाकिस्तान गृह युद्ध की ओर ! आर्थिक तंगी और इमरान-शरीफ की लड़ाई से बिगड़ा माहौल

दुनिया
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated May 26, 2022 | 20:20 IST

Crisis In Pakistan : पाकिस्तान इस समय आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। इस बीच इमरान खान द्वारा 25 मई को बुलाए गए मार्च के बाद जैसे हालात बने हैं, उससे तो तस्वीर और बदतर नजर आ रही है।

pakistan in crisis
पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता से बेहाल 
मुख्य बातें
  • पाकिस्तानी रूपया डॉलर के मुकाबले 200 तक का आंकड़ा छू चुका है।
  • पाकिस्तान सरकार शैंपू, मसाले, सूखे मेवे जैसी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा रही है।
  • पाकिस्तान नागरिक सोशल मीडिया पर गंभीर हालातों को बयां कर रहे हैं।

Crisis In Pakistan : अभी तक पाकिस्तान के हालातों को लेकर यह चर्चा थी कि क्या पाकिस्तान अगला श्रीलंका बनेगा। लेकिन इमरान खान द्वारा 25 मई को बुलाए गए मार्च के बाद जैसे हालात बने हैं, उससे तो तस्वीर और बदतर नजर आ रही है। हालात ऐसे हैं कि राजधानी इस्लामाबाद में इमरान खान के समर्थकों ने चाइन चौक मेट्रो स्टेशन को आग के हवाले कर दिया।  पाकिस्तान के कई शहरों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई। सड़कों पर हजारों का हुजूम उतर आया। इन हालातों को देखते हुए ऐसा लगता है कि पाकिस्तान गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा है। और इस बात का आरोप प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इमरान खान पर सत्ता में आने के बाद लगा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि इमरान खान देश में गृह युद्ध की स्थिति पैदा करना चाहते हैं।

आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर बेहाल

असल में पाकिस्तान दोहरी चुनौती का  सामाना कर रहा है। एक तो उसकी अर्थव्यवस्था कंगाली की राह पर हैं। जहां पर उसके पास रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने लिए जरूरी विदेशी मुद्रा नहीं है। दूसरी ओर अप्रैल में इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के बाद, विभिन्न दलों के मेल से बनी खिचड़ी सरकार भी हालात को काबू नहीं कर पा रही है। और इस राजनीतिक अस्थिरता में इमरान खान आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। इमरान खान ने आजादी मार्च में कहा है कि मेरा संदेश है कि सरकार सभी राज्यों की विधानसभाओं को भंग करे और आम चुनावों की घोषणा करे। अगर वह ऐसा नहीं करती है तो मैं छह दिनों के बाद फिर से इस्लामाबाद आऊंगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर बड़ी जिम्मेदारी है। इमरान खान ने सवाल किया कि कौन से  शांतिपूर्ण विरोध की अनुमति नहीं है और प्रदर्शनकारियों को आंसू गैस के गोले, पुलिस छापे और गिरफ्तारी का सामना करना पड़ता है। इमरान खान के अल्टीमेटम से साफ है कि पाकिस्तान अभी ऐसी स्थितियां खड़ी होती रहेंगी।

आर्थिक रूप से बदहाल है पाकिस्तान

पाकिस्तान आर्थिक हालात किस तरह कंगाली की ओर ले जा रहे हैं, वह शहबाज शरीफ सरकार के दो फैसलों से समझा जा सकता है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार शरीफ सरकार ने विदेशी मुद्रा की बचत के लिए कमर्चारियों के वर्किंग डे कम करने के प्लान को मंजूरी दे दी है। इसमें 4 दिन घर से काम करने का प्रस्ताव है। ऐसा करने से सरकार को उम्मीद है कि पेट्रोल-डीजल की खपत में बड़ी कमी आएगी । दूसरा फैसला 41 रोजमर्रा और कुछ लग्जरी उत्पादों के आयात को प्रतिबंधित कर दिया। जिसमें शैंपू, मसाला, मांस, कार, ज्वैलरी आदि शामिल हैं।

असल में विदेशी मुद्रा भंडार पाकिस्तान में 29 महीने के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। 13 मई को पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 16.1 अरब डॉलर पहुंच गया, जबकि आयात के लिए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार केवल 10.16 अरब डॉलर रह गया है। जो कि पाकिस्तान की आयात जरूरतों को केवल डेढ़ महीने तक पूरा सकता है। जबकि अच्छी स्थिति के लिए कम से कम किसी देश के पास 7 महीने का विदेशी मुद्रा भंडार होना चाहिए।

इसी तरह पाकिस्तानी रूपया डॉलर के मुकाबले 200 तक का आंकड़ा छू चुका है। जिसकी वजह से आयात महंगा हो गया। और सबसे अहम बात यह है कि ट्रेडिंग इकोनॉमिस्क की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में थोक महंगाई दर 13 साल के उच्चतम स्तर पहुंच चुक है। अप्रैल में थोक महंगाई दर 28.2 फीसदी पर पहुंच गई है। इसी तरह रिटेल महंगाई दर 13.4 फीसदी पर पहुंच गई है। जो कि जनवरी 2021 के बाद सबसे उच्च स्तर पर है। इन परिस्थितियों में पाकिस्तान को कर्ज की जरूरत है। लेकिन उसके ऊपर पहले से ही रिकॉर्ड कर्ज का बोझ है। दिसंबर 2021 में 51 लाख करोड़ रुपये  तक पहुंच गया था। इस कर्ज में करीब 21 लाख करोड़ रुपया विदेशी कर्ज है। और बिगड़ते हालात को देखते हुए उसे नए कर्ज भी मिलने में दिक्कत आ रही है।

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राजनितिक अस्थिरता ने बिगाड़े हालात

अप्रैल में जब पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई पार्टी बहुमत नहीं जुटा पाई। तो विपक्ष ने मिलकर शहबाज शरीफ के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। लेकिन उसके बाद पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिरता नहीं हो पाई है। एक तरफ शरीफ सरकार जहां इमरान खान को राजनीतिक रूप से कमजोर करने में लगी हुई है। दूसरी तरफ इमरान आजादी मार्च और लगातार सभाओं के जरिए जनता के बीच सहानुभूति बटोर कर जल्द से जल्द चुनाव करवाना चाहते हैं। इन परिस्थितियों में सरकार और विपक्ष दोनों अस्थिरता की राजनीति कर रहे हैं। जिसका खामियाजा वहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है। और यह बात, उपर दिए गए पूर्व पाकिस्तान क्रिकेटर मोह्ममद हाफिज के ट्वीट से समझी जा सकती है।

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