ISIS की धमकी से बढता खतरा, अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं बचे हुए सिख और हिंदू समुदाय के लोग

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Updated Sep 27, 2020 | 22:19 IST

अफगानिस्तान में आतंकी संगठन आईएसआईएस के बढ़ते खतरे को देखते हुए यहां के बचे हुए चंद हिंदु और सिख समुदाय के लोग भी अब देश छोड़ रहे हैं।

Facing ISIS, last embattled Sikhs, Hindus Leave Afghanistan
IS की धमकी, अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं बचे हुए सिख और हिंदू 
मुख्य बातें
  • अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों पर लगातार होते रहे हैं हमले, आईएस का खतरा बरकरार
  • कभी 2,50,000 सदस्यों वाले इन समुदायों के लोगों की संख्या अब घटकर मात्र 700 रह गई है
  • घरों को जब्त किए जाने के लिए हिंदु समुदाय के लोग लगातार छोड़ रहे हैं देश

काबुल: इस्लामिक स्टेट (आईएस) से संबंधित स्थानीय समूहों की ओर से बढ़ते खतरे के बीच अफगानिस्तान में बचे हुए सिख और हिंदू समुदाय के चंद लोग भी अब इस देश को छोड़ रहे हैं। असुरक्षा के चलते वे अपनी जन्मभूमि को छोड़ने को विवश हैं। कभी 2,50,000 सदस्यों वाले इन समुदायों के लोगों की संख्या अब घटकर मात्र 700 के आसपास बची है। मुस्लिम बाहुल्य इस देश में सिखों और हिदुओं के साथ होने वाले गहरे पक्षपात के कारण इनके सदस्यों की संख्या लगातार कम होती जा रही है।

नहीं मिलता है पर्याप्त संरक्षण

इन समुदाय के लोगों का कहना है कि यदि उन्हें सरकार से पर्याप्त सरंक्षण नहीं मिलता है तो आईएस समूह के हमलों के कारण उन्हें पूरी तरह पलायन करना पड़ सकता है। डर के कारण अपना पूरा नाम नहीं बताने वाले हमदर्द ने कहा, 'हम अब यहां और रुकने में समर्थ नहीं हैं।' हमदर्द ने कहा कि मार्च में उनके समुदाय के मंदिर पर हुए हमले में उनके सात रिश्तेदार मारे गए थे। इस हमले में 25 सिखों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि अपनी मातृभूमि को छोड़कर जाना उतना ही मुश्किल है, जैसे अपनी मां को छोड़कर जाना।

लगातार मिल रही है धमकी

इसके बावजूद हमदर्द उस हिंदू-सिख समूह का हिस्सा रहे जोकि पिछले महीने भारत गया था। वैसे तो सिख और हिंदू दो अलग-अलग धर्म हैं लेकिन फिर भी अफगानिस्तान में इनकी संख्या बेहद कम होते जाने डर के कारण ये सभी एक छोटे से मंदिर में एकत्र होकर ही अपने-अपने धर्म के अनुसार उपासना करते हैं। हमदर्द ने आरोप लगाया कि इस रूढ़िवादी मुस्लिम देश में उनके समुदाय को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है और लगभग हर 'सरकार अपने तरीके से उन्हें धमकाती रही हैं।'

इन समुदाय के तमाम लोगों के घरों को जब्त किए जाने के चलते ऐसे लोग पूरी तरह से देश छोड़कर जाने को मजबूर हैं। अफगान में 1992-96 के दौरान प्रतिद्वंदी समूहों के बीच चली लड़ाई के दौरान भी काबुल में हिंदूओं के मंदिर तबाह कर दिए गए। उस दौरान भी बहुत सारे हिंदू और सिख अफगानियों को देश छोड़कर जाना पडा था।

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