Sri Lanka: थाईलैंड से श्रीलंका लौटे पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, 13 जुलाई को छोड़ा था देश

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Updated Sep 03, 2022 | 06:33 IST

Sri Lanka: गोटबाया राजपक्षे भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। कई मंत्रियों एवं सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामूना (एसएलपीपी) के सांसदों ने उनकी अगवानी की।

Former President Gotabaya Rajapaksa returned to Sri Lanka from Thailand left the country on July 13
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे। (File Photo)  |  तस्वीर साभार: ANI

Sri Lanka: श्रीलंका से भागने के करीब दो महीने बाद पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे शुक्रवार को थाईलैंड से स्वदेश लौटे। श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच अपने इस्तीफे की मांग को लेकर महीनों से जारी विरोध-प्रदर्शनों के नौ जुलाई को हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद गोटबाया राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़कर भाग गए थे। उस समय प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में राष्ट्रपति आ‍वास सहित कई अन्य सरकारी इमारतों पर धावा बोल दिया था।

थाईलैंड से श्रीलंका लौटे पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे

गोटबाया राजपक्षे भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। कई मंत्रियों एवं सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामूना (एसएलपीपी) के सांसदों ने उनकी अगवानी की। सूत्रों के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति सिंगापुर एयरलाइंस की उड़ान से लौटे हैं। उनके अनुसार वापस आने के लिए वह पहले थाइलैंड से सिंगापुर गए, क्योंकि थाइलैंड के बैंकाक और श्रीलंका के कोलंबो के बीच सीधी उड़ाने नहीं हैं।

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विजेरामा मवाथा के पास एक सरकारी बंगले में रहेंगे राजपक्षे

‘डेली मिरर’ ने खबर दी है कि गोटबाया राजपक्षे विजेरामा मवाथा के समीप एक सरकारी बंगले में रहेंगे और इलाके की सुरक्षा के लिए एक बड़ी सुरक्षा टुकड़ी नियुक्त की जाएगी। पूर्व राष्ट्रपति के रूप में राजपक्षे एक सरकारी बंगले और अन्य सुविधाओं के हकदार हैं। गोटबाया राजपक्षे पहले श्रीलंका वायुसेना के विमान के जरिए कोलंबो से मालदीव भागे थे। मालदीव से वह सिंगापुर रवाना हुए थे, जहां से उन्होंने 14 जुलाई को अपना इस्तीफा भेजा था। बाद में राजपक्षे ने अस्थायी आश्रय की तलाश में थाईलैंड के लिए उड़ान भरी थी। 

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थाईलैंड के विदेश मंत्री डॉन प्रमुदविनई ने कहा है कि राजपक्षे 90 दिन तक देश में रह सकते हैं, क्योंकि वह अब भी एक राजनयिक पासपोर्ट धारक हैं। राजपक्षे के अपदस्थ होने के बाद श्रीलंका की संसद ने तत्कालीन कार्यवाहक राष्ट्रपति और छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना था। विक्रमसिंघे को 225 सदस्यीय संसद में सबसे बड़े दल श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) का समर्थन हासिल था।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने राजपक्षे के नेतृत्व वाली एसएलपीपी के अनुरोध पर उनकी स्वदेश वापसी के इंतजाम किए हैं। एसएलपीपी के महासचिव सागर करियावासम ने 19 अगस्त को कहा था कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के साथ हुई बैठक में इस संबंध में अनुरोध किया गया था।
 

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