पेरिस: इस्लाम को लेकर दुनियाभर में बहस का एक दौर शुरू हो गया है और इसकी शुरूआत फ्रांस से हुई है। दरअसल पैगंबर मोहम्मद के एक कार्टूट को लेकर इन दिनों फ्रांस में विवाद छिड़ा हुआ हैं और कुछ आतंकी हमले भी हुए हैं जिनमें तीन लोगों की जान गई है। फ्रांस के राष्ट्रपति दुनिया के अनेक इस्लामी देशों के निशाने पर हैं जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है। कुछ समय पहले इमरान खान ने फ्रांस की आलोचना की थी। इन सबके बीच अब फ्रांस एक्शन में है और उसने अवैध रूप से देश में रह रहे 183 पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द कर दिया है इनमें पूर्व आईएसआई चीफ की बेटी का नाम भी शामिल है।
पाकिस्तान ने किया अनुरोध
पाकिस्तान के वाणिज्य दूतावास ने फ्रांस के अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे आईएसआई के पूर्व चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा की बहन के अस्थायी निवास की अनुमति दें, जो अपनी बीमार सास को देखने के लिए फ्रांस में है। ट्वीट करते हुए वाणिज्य दूतावास ने कहा, 'हमें सौंपे गए निर्वासितों की सूची को क्रॉस-चेक करने के बाद, हमने पाया कि इसमें लेफ्टिनेंट अहमद शुजा पाशा की बहन का नाम भी शामिल है। हमने फ्रेंच अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वह अपनी इच्छानुसार अस्थायी प्रवास प्रदान करें क्योंकि वह अपनी बीमार सास को देखने के लिए वहां गई हुई हैं।'
फ्रांस से अनुरोध कर रहा है पाकिस्तान
इसमें आगे कहा कि फ्रांसीसी अधिकारियों ने प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर की टिप्पणी के बाद 183 पाक नागरिकों का वीजा को खारिज कर दिया है।'पाकिस्तान दूतावास ने आगे कहा, हमारे नागरिकों को प्रदान किया किए गए 183 विज़िटर वीज़ा को पीएम इमरान खान द्वारा आलोचना के बाद फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है। उचित दस्तावेजों वाले 118 नागरिकों को जबरदस्ती निर्वासित किया गया। हम वर्तमान में अपने नागरिकों को अस्थायी रूप से रहने देने के लिए फ्रेंच प्राधिकरण के संपर्क में हैं।'
फ्रांस में आतंकी हमले
पाकिस्तान ने पैगंबर साहब पर कार्टून के प्रकाशन और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के बयान पर तीखा विरोध दर्ज कराने के लिए फ्रांसीसी राजदूत मार्क बरेती को तलब किया था। पिछले महीने ही सैमुअल पैटी नाम के एक स्कूल शिक्षक की पेरिस के बाहरी इलाके में एक 18 वर्षीय किशोर द्वारा सिर काट दिया गया था। शिक्षक ने पढ़ाई के दौरान पैगंबर को चित्रित करने वाला कार्टून दिखाया था। इसके बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लामवादी अलगाववाद से लड़ने का संकल्प लिया था, जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि फ्रांस के आसपास के कुछ मुस्लिम समुदायों पर नियंत्रण करने की धमकी दी जा रही है।