पेरिस: विश्व भर में रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। रमजान को रमादान और माह-ए-रमजान भी कहा जाता है लेकिन इसी महीने में फ्रांस की सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे मुस्लिमों में नाराजगगी बढ़ गई है। फ्रांस की सीनेट यानि संसद ने कट्टरपंथी इस्लाम पर लगाम कसने के लिए लाए गए एक बिल को मंजूरी दे दी है। फ्रांस की सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य फ्रांस को कट्टरपंथी इस्लामवादियों से बचाना है, लेकिन आलोचकों का डर यह कानून इस्लाम विरोधी हो सकता है।
भारी मत से पारित हुआ बिल
दो सप्ताह की गहन बहस के बाद, सांसदों ने 109 के मुकाबले 208 वोटों से इसे पारित कर दिया है। "गणतंत्र के सिद्धांतों के लिए सम्मान का समर्थन" नाम के इस विधेयक को लेकर सीनेट में खूब बहस भी हुई और फिर मतदान हुआ। फ्रांस के अखबार 'ले फिगारो' के मुताबिक, फ्रांस की नेशनल असेंबली के सात सांसदों का एक आयोग गठित किया गया है, जो कि निचला सदन है। ये सात सीनेटर अब इसे अंतिम रूप देने के लिए विधेयक के लिए आम सहमति बनाएंगे।
मुस्लिमों में फैली नाराजगी
फ्रांस के इस कदम से मुस्लिमों में नाराजगी बढ़ी है और कहा जा रहा है कि इसका मकदम मुस्लिमों को अलग- थलग करना है। इसे लेकर फ्रांस में कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए। वही सरकार का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य धार्मिक गणमान्यों और संगठनों द्वारा अभद्र भाषा और कार्यों पर नकेल कसना है, जिन्हें फ्रांसीसी गणतंत्र के मूल मूल्यों के रूप में देखा जाता है।
किसलिए है नाराजगी
दरअसल इस बिल में में कई ऐसे प्रावधान हैं जिनसे विवाद पैदा हो राह है जैसे- स्कूल के पिकनिक पर जाने के दौरान बच्चों के माता-पिता के धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक, स्विमिंग पूल में बुर्का पहनने, शादी समारोहों में विदेशी झंडा लहराने पर रोक, 'सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक प्रतीकों' को पहनने पर रोक आदि। इसके अलावा बिल में वर्जिनिटी सर्टिफिकेट और बहुविवाह पर रोक लगाने जैसे प्रावधान किए गए हैं।