वाशिंगटन : अमेरिका में पिछले दिनों एक श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों अफ्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद यहां पिछले एक सप्ताह से प्रदर्शनों का दौर जारी है। प्रदर्शन कई स्थानों पर हिंसक भी हुआ और इस बीच लूटपाट की घटनाएं भी हुईं, जिसे देखते हुए देश के कई हिस्सों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। इस बीच कई जगह प्रदर्शनकारियों के साथ बल प्रयोग भी हुआ है। इस दौरान लगभग 70 प्रदर्शनकारियों को अपने घर में पनाह देने वाले भारतीय मूल के राहुल दुबे हीरो के तौर पर उभरे।
राहुल ने अब खौफ के उस मंजर को बयां किया है, जो उन्होंने पिछले दिनों यहां देखा। उन्होंने कहा, 'मैंने जो कुछ भी देखा, वह किसी नरसंहार से कम नहीं था। मैं देखा कि लोगों पर मिर्च का स्प्रे हो रहा था। यह बेहर खौफनाक था, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। मैंने देखा कि किस तरह लोगों को कुचला जा रहा था, मैंने तभी दरवाजा खोला और कहा- गेट इन, गेट इन। यह वहां आसपास के लिए एकमात्र सुरक्षित जगह थी। उस समय लिया गया यह फैसला स्वत:स्फूर्त था। मैंने सोच-विचार कर यह फैसला नहीं लिय था।'
उन्होंने हालांकि जोर देकर कहा कि अगर उन्हें आगे कभी इस तरह का फैसला सचेत होकर लेना हो तो वह निश्चित रूप से 100 फीसदी फिर ऐसा करेंगे। राहुल दुबे वही शख्स हैं, जिन्होंने अमेरिका में उस वक्त प्रदर्शनकारियों को सुरक्षित आश्रय मुहैया कराया, जब पुलिस उनके पीछे पड़ी थी और वह उनके घर से कुछ ही कदम की दूरी पर थी। प्रदर्शनकारियों में शामिल कई लोगों ने तब राहुल की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी चिंता नहीं करते हुए प्रदर्शन में शामिल लोगों को सुरक्षित रखा और रातभर उनका हौसला बढ़ाते रहे।
यहां उल्लेखनीय है कि अमेरिका में अफ्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की बीते सप्ताह मिनियापोलिस में एक श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों मौत हो गई थी। पुलिस अधिकारी ने करीब आठ मिनट तक उसकी गर्दन को अपने घुटने से दबाए रखा था, जिसके कारण उसका सांस ले पाना मुश्किल हो गया और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया। इस घटना का वीडियो सामने आया, जिसमें जॉर्ज को 'आई कांट ब्रीद' (मैं सांस नहीं ले पा रहा) कहते सुना गया। मामले के प्रकाश में आने के बाद अमेरिका में प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया, जो अब भी जारी है।