नई दिल्ली। जमात उत दावा सरगना और मुंबई हमलों का गुनहगार हाफिज सईद अब जेल के सलाखों के पीछे होगा। लाहौर की एक अदालत ने उसे पांच साल की सजा सुनाई है। हाफिज पर आरोप है कि वो लश्कर के साथ साथ दूसरे आतंकी सगंठनों को वित्तीय मदद देता है। पिछले साल उसे पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी दस्ते ने गिरफ्तार किया था। लेकिन कुछ महीनों के बाद उसे जमानत मिल गई थी।
हाफिज पाकिस्तान की धरती से इंसानियत के खिलाफ मुहिम चलाता है और धार्मिक लबादा ओढ़कर वो मानवता का संदेश देता है। एक तरफ उसके हाथ निर्दोषों के खून से सने हैं तो दूसरी तरफ फलह-ए- इंसानियत के जरिए असहायों की मदद का ढोंग करता है। अमेरिका पहले ही उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर रखा है। अमेरिका की तरफ से बार बार पाकिस्तान से कहा जाता रहा है कि वो हाफिज के खिलाफ कार्रवाई करे। लाहौर की अदालती कार्रवाई के बाद हाफिज के पास अपील के रास्ते हैं। लेकिन पहली बार उसे किसी मामले में सजा सुनाई गई है।
मुंबई हमलों के संबंध में हाफिज के हाथ होने के सबूत भारत सरकार से पहले ही पाकिस्तान को दिया जा चुका है। ये बात दीगर है कि पाकिस्तान को उन दस्तावेजों के अतिरिक्त और सबूत की जरूरत है। हाल के फैसले पर जानकारों का कहना है कि हाफिज को सजा मिलने से एक बात साफ है कि वो और उसका संगठन बेदाग नहीं है। आतंकी गतिविधियों को फंड मुहैया कराने से साफ है कि हाफिज आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहा है और इस आधार पर भारत का दावा पुख्ता होता है कि हाफिज पाक साफ नहीं है।