Queen Elizabeth: क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय का शव अंतिम दर्शन के लिए लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में रखा गया है। यहां इनका ताबूत चार दिनों के लिए रहेगा, जहां लोग उनका अंतिम दर्शन कर सकेंगे। एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम दर्शन के लिए लंदन की सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ी है और लोग घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
क्वीन एलिजाबेथ का शव मंगलवार को स्कॉटलैंड से लंदन लाया गया। इस दौरान उनके ताबूत पर वो ताज भी रखा दिखा है, जो कभी क्वीन एलिजाबेथ की सिर का शान था। एलिजाबेथ की मौत के बाद, हीरों से लदा यह ताज अब उनकी ताबूत की भी शोभा बढ़ा रहा है। इस तरह से ताज के सामने आने के बाद से इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं हैं। ताज के इतिहास से लेकर कीमत तक पर बातें होने लगीं हैं। तो आइए जानते हैं उस ताज की कहानी, जिसपर लगा है भारत का कोहिनूर...
कब बना यह ताज
1937 में एलिजाबेथ के पिता, किंग जॉर्ज VI के राज्याभिषेक के लिए इस ताज (Imperial State Crown) को बनाया गया था। इसे इस तरह से बनाया गया था ताकि यह हल्का रहे और आसानी से पहना जा सके। हालांकि तब भी इम्पीरियल स्टेट क्राउन का वजन 1.06kg से अधिक है। इस ताज को खास मौकों पर ही पहना जाता है।
लगे हैं हजारों हीरे
इस ताज में लगभग 3,000 बेशकीमती पत्थर लगे हुए हैं। जिसमें 2,868 हीरे, 273 मोती, 17 नीलम, 11 पन्ना और पांच माणिक शामिल हैं। इम्पीरियल स्टेट क्राउन में 317 कैरेट का कलिनन II हीरा शामिल है, जो अब तक मिले सबसे बड़े हीरे से तराशा गया है। इसमें शाही संग्रह का सबसे पुराना रत्न भी शामिल है। साथ ही भारत को कोहिनूर भी इस ताज में लगा हुआ है।
नहीं आंकी जा सकी कीमत
इस ताज की कीमत को आज तक कोई भी नहीं आंक पाया है। इसकी कीमत लगाना असंभव जैसा है। बीबीसी के अनुसार रॉयल विशेषज्ञ एलिस्टेयर ब्रूस ने इस ताज को लेकर कहा था कि यह कीमत से बहुत आगे की चीज है। उन्होंने कहा था- "इसे अमूल्य कहना समझदारी है, लेकिन आप उतने ही शून्य लगा सकते हैं जितने कि इसमें हीरे हैं।"
यहां रखा जाता है ताज
जब इस ताज का प्रयोग नहीं किया जाता है तो इसे लंदन स्थित इंपीरियल स्टेट क्राउन के टॉवर में ज्वेल हाउस में लोगों के दर्शन के लिए रखा जाता है। इस ताज को कई बार चुराने की कोशिश भी की जा चुकी है। हालांकि चोर इसे चुराने में असफल ही रहे हैं।
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