अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन का कहना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हमलावर है, यूक्रेन के लोगों को उन्होंने अकल्पनीय दर्द दिया है। रूस की इस हिमाकत की सजा कड़े से कड़े प्रतिबंध हैं लेकिन वो यूक्रेन में अमेरिकी फौज नहीं भेजेंगे। इन सबके बीत उन्होंने एक बात और कही कि अगर रूसी फौज नाटो देशों में घुसने की हिमाकत करती हैं तो रूस के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका शामिल होगा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या अमेरिका इस बात की वकालत करेगा कि यूक्रेन को नाटो देशों में शामिल किया जाए। इस बीच नाटो का कहना है कि उसके 100 लड़ाकू विमान अलर्ट मोड पर है, जैसा आदेश मिलेगा वो कार्रवाई के लिए तैयार हैं।
यूक्रेन को अमेरिका की तरफ से मानवीय सहायता
राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि अगर व्लादिमीर पुतिन नाटो देशों में चले जाते हैं तो अमेरिका हस्तक्षेप करेगा, उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर उनके रूसी समकक्ष को अभी नहीं रोका गया, तो उनका हौसला बढ़ेगा।बाइडेन ने कहा कि पुतिन से बात करने की उनकी कोई योजना नहीं है लेकिन उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि अमेरिका यूक्रेन के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए मानवीय राहत प्रदान करेगा।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि नाटो देश इस बात को समझते हैं कि यूक्रेन को सीधे तौर पर मदद करने का मतलब है कि रूस के खिलाफ सीधी लड़ाई का ऐलान। लेकिन उसके पीछे कोई पुख्ता आधार होना चाहिए। अमेरिका और नाटो के दूसरे देश मानवीय, नैतिक मदद की बात कर भी सकते हैं और जमीनी स्तर पर उस मदद को यूक्रेन तक पहुंचा भी सकते हैं। लेकिन रूस के साथ सीधी लड़ाई का मतलब यह है कि पुतिन की फौज यूक्रेन की पश्चिमी सीमा से सटे देशों पर किसी तरह की कार्रवाई करे। अगर ऐसा होता है तो अमेरिका के पास नाटो देशों को बचाने का आधार होगा और वो रूस के साथ सीधी लड़ाई लड़ सकता है। ऐसी सूरत में अमेरिका के पास दो रास्ते हैं कि या तो यूक्रेन को नाटो देश घोषित किया जाए या रूस किसी नाटो देश पर कार्रवाई करे।