नई दिल्ली। पूरी दुनिया कोरोना के कहर का सामना कर रही है। हर एक देश को ऐसे वैक्सीन की जरूरत है जो इस वायरस का सामना कर सके। वैसे तो रूस ने स्पुतनिक वी को लांच कर दिया है। लेकिन लोगों को ज्यादा उम्मीद फाइजर, माडर्ना और आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से है। फाइजर ने हाल ही में दावा किया है कि उसकी वैक्सीन 95 फीसद असरकारी है। इन सबके बीच उसने कोरोना वायरस वैक्सीन को इमर्जेंसी में इस्तेमाल की इजाजत के लिए अमेरिका के नियामक प्राधिकरण को आवेदन दिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि रहा है कि यह प्रक्रिया पूरी होने पर अगले महीने सीमित संख्या में वैक्सीन की खुराकें तैयार हो सकती हैं।
95 फीसद असरकारी होने का दावा
Pfizer ने कुछ दिन पहले ही इस बात का ऐलान किया है कि उसकी वैक्सीन 95% असरदार है। कंपनी ने कहा है कि वायरस से सुरक्षा के साथ गंभीर साइड इफेक्ट न होने से वैक्सीन इस्तेमाल के लिए फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन (FDA) की इजाजत के लिए आवेदन कर सकती है। इसके बाद इसकी फाइनल टेस्टिंग भी की जा सकती है। अमेरिका के अलावा यूरोप और ब्रिटेन में भी आवेदन किए जाने की तैयारी चल रही है ताकि पूरी दुनिया में इसके फायदे को पहुंचाया जा सके।
एमआरएनए तकनीक पर बनी है वैक्सीन
इसके साथ ही मॉडर्नी की वैक्सीन भी फाइजर की तरह mRNA तकनीक पर आधारित। मॉडर्ना ने दावा किया है कि आखिरी चरण के शुरुआती डेटा में उसकी वैक्सीन 94.5% असरदार पाई गई है। युवाओं के साथ-साथ ज्यादा उम्र के लोगों में Moderna की वैक्सीन ने ऐंटीबॉडी पैद की जिसने वायरस के खिलाफ कारगर साबित हुई। जल्द ही ऐसे समूहों पर इमर्जेंसी में इस्तेमाल करने की इजाजत के लिए आवेदन किया जाएगा जिन्हें इन्फेक्शन का ज्यादा खतरा होगा। माना जा रहा है कि अमेरिका के लिए साल के अंत तक 2 करोड़ खुराकें तैयार हो जाएंगी।