नई दिल्ली : पाकिस्तान कश्मीर पर दुनियाभर से समर्थन की गुहार लगा रहा है, जिसमें अब तक उसे निराशा ही हाथ लगी है। पाकिस्तान को उम्मीद है तो बस अपने सदाबहार दोस्त चीन से। यही उम्मीद लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मंगलवार (8 अक्टूबर) चीन के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं, जिस दौरान वह द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ चीनी नेतृत्व से कश्मीर के मुद्दे पर भी चर्चा कर सकते हैं।
इमरान खान का चीन दौरा ऐसे समय में रहा है, जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जल्द ही भारत आने वाले हैं और इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तमिलनाडु के महाबलिपुरम में उनकी दूसरी अनौपचारिक वार्ता होनी है। दोनों नेता इससे पहले अप्रैल 2018 में चीन के वुहान शहर में पहली अनौपचारिक वार्ता कर चुके हैं, जिसके बाद भारत-चीन संबंधों में तनातनी दूर करने और नरमी के संकेत मिले हैं।
पीएम मोदी और शी जिनपिंग की दूसरी अनौपचारिक वार्ता में कश्मीर का मुद्दा शामिल होगा या नहीं, इस बारे में फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने पिछले दिनों कहा था कि यह दोनों नेताओं पर निर्भर करेगा कि वे किन मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस बातचीत में कश्मीर कोई 'बड़ा विषय' होगा।
कश्मीर पर चीन का रुख अब तक पाकिस्तान का समर्थन करता प्रतीत हो रहा है। पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान चीन ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था, जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इन सबके बीच इमरान खान का चीन दौरा हो रहा है, जिस दौरान वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ-साथ अपने चीनी समकक्ष ली केकियांग से भी मिलेंगे और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करेंगे।
इमरान खान इस दौरान कश्मीर का मुद्दा भी उठा सकते हैं, जिसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय या द्विपक्षीय मंच पर उठाने का उन्होंने कोई अवसर नहीं छोड़ा है। इमरान खान चीनी नेतृत्व के साथ लगभग 60 अरब डॉलर के चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर भी चर्चा करेंगे, जो चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है।