भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने जिनेवा में 75वीं विश्व स्वास्थ्य सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और अन्य देशों द्वारा व्यक्त की गई चिंता की अनदेखी करते हुए जिस तरह से डब्ल्यूएचओ द्वारा अधिक मृत्यु दर पर रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित की गई थी उस पर भारत अपनी निराशा व्यक्त करना चाहता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद, एक संवैधानिक निकाय है जिसमें भारत के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों का प्रतिनिधित्व है। उसने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया जिसमें मुझे इस संबंध में उनकी सामूहिक निराशा और चिंता व्यक्त करने के लिए कहा गया। वैधानिक संस्था द्वारा प्रकाशित सही आंकड़ों को नहीं लिया गया।
मंडाविया ने कहा कि पीएम मोदी ने टीकों और दवाओं के लिए समान पहुंच को सक्षम करने के लिए एक लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है, जो टीकों, चिकित्सा विज्ञान, सुधारों के लिए डब्ल्यूएचओ की अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है। एक जिम्मेदार सदस्य के तौर पर भारत इन प्रयासों में अहम भूमिका निभाने को तैयार है।
WHO का हालिया दावा है कि भारत में कोरोना वायरस से 1 जनवरी 2020 और 31 दिसंबर 2021 के बीच 47 लाख से अधिक मौतें हुईं। जबकि भारत सरकार का आंकड़ा है कि इस दौरान 5 लाख 20 हजारे के करीब मौतें हुई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस पर कहा था कि भारत पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से कोविड के कारण हुईं मौतों को दर्ज करता है और डब्ल्यूएचओ के मृत्यु दर के अनुमान से सहमत नहीं है।
भारत में कोविड से मौतें, इन वजहों से WHO के आंकड़े पर सवाल
डब्ल्यूएचओ ने पांच मई को जारी एक रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया था कि दुनियाभर में पिछले दो साल में कोरोना वायरस या स्वास्थ्य प्रणालियों पर इसके असर के कारण करीब डेढ़ करोड़ लोग मारे गये हैं और यह संख्या 60 लाख लोगों की मौत के आधिकारिक आंकड़े से दोगुनी से ज्यादा है।