नई दिल्ली/इस्लामाबाद : भारत और पाकिस्तान ने बीते कुछ दिनों में कई अधिकारियों को असाइनमेंट वीजा (Assignment visa) जारी किए हैं। दोनों देशों के बीच यह कदम दो साल से भी अधिक समय बाद उठाया गया है। बीते करीब 28 महीनों से दोनों देशों के बीच असाइनमेंट वीजा जारी नहीं किए गए थे।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और पाकिस्तान ने 15 मार्च, 2021 तक जमा सभी आवेदनों के लिए वीजा जारी कर दिया है। कुल सात पाकिस्तानी राजनयिकों को भारत से असाइनमेंट वीजा मिला है, जबकि पाकिस्तान ने 33 भारतीय अधिकारियों को वीजा जारी किया है।
इसे भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को दूर करते हुए आपसी संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों के तौर पर देखा जा रहा है। 14 फरवरी, 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
बीते कुछ समय में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में कुछ कदम उठाए गए हैं, इसे उसी दिशा में उठाए गए एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है। भारत और पाकिस्तान की सेना ने इस साल फरवरी में LoC पर नए सिरे से संयुक्त रूप से सीजफायर की भी घोषणा की थी।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के उस बयान को भी भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की पहल के तौर पर देखा गया, जिसमें उन्होंने मार्च में कहा था दोनों मुल्कों को अपने अतीत को भुलाकर सहयोग की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए!
Assignment visa राजनयिकों और उनके परिवार के लिए जारी किए जाते हैं। भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के राजनयिकों और उच्चायोग के कर्मचारियों के लिए यह वीजा जारी करते हैं, जिसे 'कूटनीतिक वीजा' (Diplomatic Visa) भी कहा जाता है।
भारत और पाकिस्तान द्वारा असाइनमेंट वीजा जारी किए जाने का फायदा दोनों देशों के राजनयिकों और उच्चायोग कर्मचारियों को मिलेगा, जिनके लिए इस वीजा के आधार पर एक-दूसरे मुल्क में आवाजाही अधिक सुगम हो सकेगी और वे उन देशों में अपना काम कर पाएंगे जहां उनकी पोस्टिंग होगी।
भारत और पाकिस्तान ने आपसी संबंधों में तनाव के मद्देनजर उच्चायोगों में स्टाफ की संख्या कम कर दी थी। भारत ने 'जासूसी' का आरोप लगाते हुए पाकिस्तान से नई दिल्ली स्थित उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या कम करने के लिए कहा था और इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में भी अपने कर्मचारियों की संख्या सीमित कर दी थी।