चीन के प्रति भारत ने सख्त किए तेवर, समरकंद से लेकर UN में दिखी नई कूटनीति

India And China Relation: विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की बात आती है तो कुछ देश उसे बचाने का काम करते हैं।

Narendra Modi And S jaishankar
भारत ने चीन के प्रति अपनाई सख्त नीति 
मुख्य बातें
  • साजिद मीर  2008 के मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता है। और उसे चीन ने वीटो पॉवर लगाकर बचा लिया है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ में साजिद मीर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव लाया गया था।
  • SCO सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात नहीं कर कड़ा संदेश दिया है।

India And China Relation:भारत ने चीन को लेकर अब जैसे को तैसा की कूटनीति अपना ली है। और उसे अब उसी के अंदाज में जवाब दे रहा है। ताजा मामला, संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद का है। जहां पर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने चीन का नाम लिए बिना नसीहत दी है। उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर को ब्लैकलिस्ट करने में अड़ंगा लगाने के लिए चीन पर जमकर निशाना साधा। इसके पहले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में चीन की उम्मीदों के विपरीत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता नहीं कर कड़ा संदेश दिया था। 

साजिद मीर पर जयशंकर ने क्या कहा

विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक आतंकवादियों पर प्रतिबंध' लगाने की बात आती है तो कुछ देश उसे बचाने का काम करते हैं। जयशंकर का साफ तौर पर चीन की ओर इशारा था। असल में अमेरिका और भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में साजिद मीर को 'अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी' घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन चीन ने  'वीटो' पावर का इस्तेमाल कर साजिद मीर को बचा लिया। साजिद मीर  2008 के मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता  है। इसके अलावा साजिद मीर ने डेनमार्क के एक अखबार और उसके कर्मचारियों के खिलाफ आतंकी हमले की साजिश रची थी। इसके बाद से ही वह अमेरिका और भारत की मोस्ट वांटेड लिस्ट में है। और उस पर  50 लाख डॉलर का इनाम घोषित है।

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समरकंद में भी भारत ने दिया कड़ा संदेश

साल 2020 में गलवान घाटी में हुए सीमा विवाद और फिर खूनी संघर्ष के बाद से ही भारत और चीन के रिश्ते तल्ख बने हुए हैं। कई बार विदेश मंत्री के तरफ से साफ तौर पर कहा गया कि भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हैं। ऐसे में 15-16 सितंबर को होने वाली SCO मीटिंग से पहले चीन ने समरकंद में मोदी और जिनपिंग की द्विपक्षीय मुलाकात हो सके, इसके लिए उसने लद्धाख में पैट्रोल प्वाइंट 15 (पीपी-15) से पीछे हटाने का फैसला किया। जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने डिसइंगेजमेंट का प्रॉसेस शुरू कर दिया था। चीन को लगा था इसके बाद समरकंद में भारत दबाव में आएगा और द्विपक्षीय वार्ता होगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शी जिनपिंग से मुलाकता नहीं कर साफ संदेश दे दिया, कि जब तक सभी विवादों का समाधान नहीं होगा। भारत पहल नहीं करेगा।  

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