तेल अवीव : फिलिस्तीनी मिलिशिया समूह हमास और आईडीएफ (इजराइल रक्षा बल) के बीच संघर्ष विराम की घोषणा के लगभग एक महीने बाद बुधवार तड़के इजरायली सेना ने गाजा पट्टी पर बमबारी की। यूं तो इजरायल-हमास के बीच इस तरह की बमबारी, रॉकेट हमले आम हो चुके हैं, लेकिन बुधवार के स्ट्राइक में जो एक खास बात रही, उसमें यह है कि आईडीएफ की जिस टीम ने इसे अंजाम दिया, उसमें एक भारतवंशी युवती भी शामिल रही।
आईडीएफ में शामिल यह भारतवंशी नीत्शा मुलियासा हैं, जो सीरिया जॉर्डन की सीमा पर भी तैनात रह चुकी हैं। मूल रूप से गुजरात में राजकोट के पास एक छोटे से गांव कोठारी से ताल्लुक रखने वाली नीत्शा इजरायल डिफेंस फोर्स में शामिल की गईं गुजराती मूल की पहली शख्स हैं। उनका परिवार अरसे से तेल अवीव में बसा हुआ है। इजराइल में कुल 45 गुजराती परिवार रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर हीरा कारोबार से जुड़े हैं।
नीत्शा के पिता जीवाभाई मुलियासा मुताबिक, उनकी बेटी को दो साल पहले देश की भर्ती प्रणाली के तहत आईडीएफ में शामिल किया गया था, जो 18 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों के लिए सेना में सेवा करना अनिवार्य बनाता है। इजरायल की शिक्षा प्रणाली की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यह बच्चों में नेतृत्व के गुण पैदा करती है। उन्होंने बताया कि बीते दो साल में उनकी बेटी लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और मिस्र की सीमाओं पर तैनात रह चुकी हैं और इस वक्त वह गश डैन में तैनात है, जहां से इजरायली सेना गाजा में हमास पर हमले कर रही है।
नीत्शा आमतौर पर दिन में आठ घंटे काम करती हैं, लेकिन कई बार वह 24 घंटे काम करती है और ड्यूटी आवर समाप्त होने के बावद भी काम करती हैं। वह अपने काम के लिए प्रतिबद्ध हैं और घरवालों से उनकी मुलाकात सप्ताहांत पर ही हो पाती है, जो अमूमन कुछ महीनों में एक बार होती है।
नीत्शा युद्ध के मैदान में सबसे आधुनिक हथियारों और बहुआयामी युद्धाभ्यास के उपयोग में प्रशिक्षित हैं। सेना में उनका 2.4 साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें पांच से दस साल की अवधि के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करना होगा। इस दौरान वह अपनी योग्यता के अनुसार इंजीनियरिंग, मेडिसिन या अपनी पसंद के किसी अन्य कोर्स में दाखिला ले सकेंगी। इसका पूरा खर्च इजरायल की सेना वहन करेगी।