नई दिल्ली: पंजशीर (Panjshir) अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है, जिसपर आजतक तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है, तालिबान ने कहा था कि पंजशीर के स्थानीय राज्य के अधिकारियों ने इसे शांतिपूर्वक सौंपने से इनकार कर दिया, जिसके बाद से हमें अपने लड़ाके भेजने पड़े हैं, तालिबान ने दावा किया था कि उनके लड़ाके पंजशीर में घुस गए हैं लेकिन पंजशीर के शेरों ने इसका खंडन किया है। उन्होंने कहा कि तालिबान झूठ बोल रहा है।
वहीं पंजशीर में मात खा रहे तालिबान ने नई चाल चली है, बताया जा रहा है कि तालिबान ने वहां इंटरनेट सर्विस को बंद कर दिया है ताकि पंजशीर के विद्रोही किसी भी तरह से अपनी आवाज दुनिया तक पहुंचा सकें।मोबाइल इंटरनेट के अलावा कॉल और मैसेज की सुविधाओं को भी बंद कर दिया गया है।
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह इसी इलाके में हैं, उन्होंने ट्वीट कर कहा भी था कि मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबान के आतंकवादियों के सामने नहीं झुकूंगा। मैं अपने नायक अहमद शाह मसूद, कमांडर, लीजेंड और गाइड की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा।
तालिबान पंजशीर को अपने कब्जे में करने के लिए लाख जतन कर रहा है, लेकिन सफल नहीं हो रहा है।पंजशीर एकमात्र जगह है जो अभी तक तालिबान के कब्जे से बाहर है कई तालिबान विरोधी पंजशीर में जमा हैं। अफगान विद्रोही कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद अभी पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के साथ पंजशीर घाटी में हैं।