बगदाद: एक समय अपनी संपन्नता के लिए प्रसिद्ध रहे ईराक, आजकल एक भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहा है और आलम ये है कि सरकार के पास कर्ज चुकाने के पैसे तो छोड़िए, कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं बचे हैं। सद्दाम हुसैन के शासनकाल को भला कौन भूल सकता है लेकिन अब पहली बार ऐसी विकट स्थितियां पैदा हो गई हैं कि देश के अंधकार में डूबने के आसार नजर आ रहे हैं। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने इराक को लेकर जो खबर फाइल की है वो हैरान करने वाली है।
और बिगड़ सकते हैं हालात
कारोबार की हालत ये है कि महीने का 1 हजार टन आटा बेचने वाला एक व्यापारी अब महज 170-200 टन ही आटा बेच पा रहा है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सद्दाम हुसैन के कार्यकाल के बाद इराक पहली बार इस तरह के आर्थिक संकट से जूझ रहा है और आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। वित्तीय संकट की वजह से सरकार पर भी संकट आ गया है। यही कारण है कि भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
अर्थव्यवस्था धाराशयी
दरअसल इराक की अर्थव्यवस्था तेल पर निर्भर है और कोविड महामारी और तेल तथा गैस की कम होती कीमतों की वजह से अर्थव्यवस्था पूरी तरह धाराशयी हुई है। इराक की अर्थव्यवस्था के सरकारी राजस्व में 90 फीसदी का योगदान तेल तथा गैस से आता है। हालात ये हैं कि सरकार पिछले साल अपने कर्मचारियों को एक महीने का वेतन तक नहीं दे सकी थी।
घंटों तक अंधेरे में डूबा रहा देश
पिछले महीने, इराक ने दशकों बाद पहली बार अपनी मुद्रा, दीनार का अवमूल्यन किया और तुरंत ही देश में लगभग हर चीज पर कीमतें बढ़ा दीं जो आयात पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। पिछले हफ्ते, ईरान ने गैर-भुगतान का हवाला देते हुए इराक की बिजली और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में कटौती कर दी, जिससे देश के बड़े हिस्से को दिन में घंटों तक अंधेरे में रहना पड़ा था। कई इराकियों को डर है कि इराकी सरकार आने वाले दिनों में और कड़े कदम उड़ा सकती है जिससे महंगाई सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर सकती है।
बाजार में सन्नाटा
बाजारों के हालात ऐसे हैं कि हर तरफ सुनसानी नजर आती हैं और दुकानें हों या होटल, रेस्टोरेंट सब जगह सन्नाटा छाया हुआ है। वित्तीय संकट की वजह से बाजार खाली हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले साल दिसंबर में ही इराक की अर्थव्यवस्था के 11 फीसदी गिरने का अनुमान जताया था।