रियाद/वाशिंगटन : सऊदी अरब के कट्टर आलोचक पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी इंटेलिजेंस की वह रिपोर्ट जारी की है, जिसमें खाशोज्जी की हत्या के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पर उंगली उठाई गई है। इसमें कहा गया है कि क्राउन प्रिंस ने निर्वासन में रह रहे सऊदी पत्रकार जमाल खाशोज्जी को लेकर उस योजना को मंजूरी दी थी, जिसमें उन्हें जिंदा पकड़ने या जान से मारने की बात शामिल थी।
यह पहली बार है जब अमेरिकी प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर इस तरह की रिपोर्ट जारी है। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भी इस तरह की बातें सामने आई थीं, लेकिन ट्रंप प्रशासन में ऐसी रिपोर्ट्स को बाहर नहीं आने दिया गया था। सऊदी अरब लंबे समय से अमेरिका का करीबी सहयोगी रहा है और ऐसे में इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद उसके अमेरिका से रिश्तों पर कितना असर पड़ेगा, यह तो वक्त ही बताएगा, पर शुक्रवार को आई इस रिपोर्ट ने सऊदी क्राउन प्रिंस की ताकत, प्रतिष्ठा और अंतरराष्ट्रीय हैसियत को एक झटका जरूर दिया है।
वहीं, अमेरिकी इंटेलीजेंस की रिपोर्ट ने उस भयावह हत्याकांड की यादें एक बार फिर से ताजा कर दी हैं। 59 साल के सऊदी पत्रकार खाशोज्जी की हत्या 2 अक्टूबर, 2018 को तुर्की के इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में कर दी गई थी। वह वहां अपने कुछ निजी दस्तावेज लेने गए थे, ताकि तुर्की की अपनी मंगेतर हतीजे जेंग्गिज से शादी कर सकें। लेकिन उसके बाद उनका कुछ पता नहीं चल सका। बताया जाता है कि शुरुआती संघर्ष के बाद खाशोज्जी को भारी मात्रा में ड्रग दिया गया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। बाद में उनके मृत शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर किसी स्थानीय एजेंट को दे दिया गया। हालांकि खाशोज्जी का शव आज तक नहीं मिल पाया।
इस हत्याकांड को तुर्की ने उजागर किया था, जिसने हत्याकांड के दौरान हुई बातचीच की ऑडियो रिकॉर्डिंग होने का दावा किया था और बाद में इसे जारी भी किया था। ये टेप सुनने के लिए अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी CIA की निदेशक रहीं गिना हैस्पेल तुर्की की राजधानी अंकारा भी पहुंची थीं। इसे खाशोज्जी के आखिरी पलों से जुड़ा ऑडियो क्लिप बताया गया, जिसमें एजेंट्स द्वारा उन्हें दबोचे जाने और गला दबाए जाने के दौरान हुए संघर्ष का दावा किया गया। इसमें आखिरी क्षणों में खाशोज्जी द्वारा उनका मुंह बंद नहीं करने और उन्हें अस्थमा होने की बातें कही जाने की बातें भी सामने आईं।
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जब इस टेप को सुनने के बारे में सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था, 'मुझे बिना सुने ही इसके बारे में सब कुछ पता है, यह बहुत हिंसक, क्रूर और भयानक था। सऊदी दूतावास के भीतर इस तथाकथित खुफिया रिकॉर्डिंग को हालांकि कूटनीतिक तौर पर गलत माना गया, हत्या की वीभत्सता को देखते हुए व्यापक तौर पर इस पहलू की उपेक्षा की गई। इसके आधार पर ही अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने निष्कर्ष निकाला कि इसमें किसी न किसी रूप में सऊदी क्राउन प्रिंस की संलिप्ता रही थी। सऊदी अरब हमेशा से क्राउन प्रिंस की इसमें किसी प्रकार की संलिप्तता से इनकार करता रहा है।
खाशोज्जी सऊदी अरब के रसूखदार परिवार से ताल्लकु रखते हैं। कभी वह यहां के शाही परिवार के करीबी हुआ करते थे और उनके सलाहकार भी थे। लेकिन बाद में उनके रिश्ते खराब हो गए। 2017 में वह अमेरिका चले गए। उसी साल किंग सलमान (85) की गिरती सेहत के बीच मोहम्मद बिन सलमान ने क्राउन प्रिंस की जिम्मेदारी संभाली थी। खाशोज्जी अमेरिका में निर्वासन में रह रहे थे, जहां से वह 'वाशिंगटन पोस्ट' में एक मासिक कॉलम लिखते थे। इसमें अक्सर वह सऊदी क्राउन प्रिंस की नीतियों की आलोचना करते थे। एक कॉलम में उन्होंने असहमति को दबाने की कोशिश में अपनी गिरफ्तारी की आशंका भी जताई थी और यह भी कहा था कि इसके पीछे खुद क्राउन प्रिंस हो सकते हैं।