प्योंगयांग : अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच संबंधों में तल्खी एक बार फिर आने के आसार नजर आ रहे हैं। उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने अमेरिका को अपना 'सबसे बड़ा दुश्मन' करार देते हुए इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिकी हमले से बचाव के लिए उन्हें अधिक उन्नत परमाणु हथियारों के विकास की जरूरत है। उन्होंने अधिकारियों को कई तरह के हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलें, पानी के नीचे लॉन्च होने वाली न्यूक्लियर मिसाइलें, जासूसी उपग्रह और परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बियां बनाने के निर्देश भी दिए हैं। किम के इस रुख को अमेरिका में 20 जनवरी को बनने जा रही सरकार को कड़ी चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है।
सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की बैठक के दौरान किम ने अमेरिका के नए प्रशासन के साथ अपने रिश्तों को लेकर कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका अपनी नीति में बदलाव करता है या नहीं। उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए के अनुसार, किम ने पार्टी की बैठक में कहा कि व्हाइट हाउस में चाहे कोई भी आए, पर अमेरिका की शत्रुतापूर्ण नीतियां उत्तर कोरिया को लेकर बदलने वाली नहीं हैं। इसलिए अमेरिकी हमले से बचाव के लिए जरूरी है कि उत्तर कोरिया अपनी सुरक्षा को मजबूत करे। किम ने हालांकि कहा कि उत्तर कोरिया तब तक परमाणु हथियार इस्तेमाल नहीं करेगा, जब तक पहले उसके खिलाफ ऐसा हथियार इस्तेमाल करने की कोशिश न की जाए।
किम के इस बयान को अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए चेतावनी और चुनोती के तौर पर देखा जा रहा है, जो 20 जनवरी को राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की जगह लेने वाले हैं। किम के इस बयान के बाद अमेरिका और उत्तर कोरिया के रिश्ते और तल्ख होने के आसार बन गए हैं। इससे पहले ट्रंप और किम के बीच भी एक वक्त खूब जुबानी जंग चली थी, जब 2018 में नए साल की शुरुआत पर ही उत्तर कोरियाई शासन ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा था कि परमाणु हथियार का बटन उनकी टेबल पर ही रखा और अमेरिका इसकी जद में है। तब ट्रंप ने भी पलटवार का मौका नहीं छोड़ा था और कहा था कि उनके पास उससे बड़ा व शक्तिशाली बटन है और वह काम भी करता है।
इतना ही नहीं ट्रंप ने किम को 'रॉकेट मैन' बताया, तो उत्तर कोरिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति को 'सनकी बुड्ढ़ा' तक कह दिया और उनकी मानसिक क्षमता पर भी सवाल उठाए। इन बयानबाजियों के बीच ऐसा लगता था कि उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच किसी भी वक्त जंग छिड़ सकती है, लेकिन 2018 के फरवरी-मार्च से यह तल्खी थोड़ी कम होती दिखी और 12 जून, 2018 को सिंगापुर में दोनों नेताओं की हुई ऐतिहासिक मुलाकात के बाद काफी कुछ बदलता नजर आया। इसके बाद ट्रंप और किम की दो और मुलाकातें हुईं, जिसके बाद दोनों नेताओं के सुर नरम होते चले गए। हालांकि इन मुलाकातों से उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आ सका, जिसे लेकर अमेरिका सहित कई देशों ने उस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं।
अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच संबंधों में वही तल्खी एक बार फिर बढ़ने के आसार हैं, जो ट्रंप और किम की मुलाकात से पहले तक देखी गई थी। ट्रंप से जुबानी कर चुके उत्तर कोरिया के तेवर एक फिर उसी तरह के नजर आ रहे हैं। अमेरिका में जो बाइडेन के सत्ता संभालने से पहले ही उत्तर कोरिया उन्हें 'पागल कुत्ता' कह चुका है और अब एक बार फिर उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर ने और शक्तिशाली परमाणु हथियार बनाने की बात कहकर जो बाइडेन के नेतृत्व में बनने जा रही अमेरिकी प्रशासन को सत्ता संभालने से पहले ही चुनौती दे डाली है।
अमेरिका और उत्तर कोरिया के रिश्तों में तल्खी बढ़ने की वजह के तौर पर जो बाइडेन के उस बयान को भी देखा जा रहा है, जिसमें अपने प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने विज्ञापन के जरिये यह संदेश देने का प्रयास किया था कि सत्ता में आने पर वह उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े कदम उठाएंगे। इस विज्ञापन में ट्रंप की विदेश नीति की निंदा करते हुए कहा गया था कि 'तानाशाहों और अत्याचारियों की प्रशंसा की जाती है, जबकि हमारे सहयोगियों को नजरअंदाज किया गया।' इस विज्ञापन में वॉयसओवर के दौरान जब 'अत्याचारियों' शब्द का उच्चरण किया जाता है, तो ठीक उसी समय ट्रंप और किम की सिंगापुर शिखर वार्ता में हाथ मिलाती एक तस्वीर दिखाई देती है।
जो बाइडेन कैंप का यह विज्ञापन राष्ट्रपति चुनाव के लिए था और इसके बाद ही उत्तर कोरिया की ओर से कहा गया था कि बाइडेन ने उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेतृत्व की गरिमा को धूमिल करने का दुस्साहस किया। उत्तर कोरिया की आधिकारिक समाचार एजेंसी 'केसीएनए' ने 14 नवंबर, 2020 को जारी बयान कहा था, 'अगर उन्हें ऐसा करने दिया गया तो बाइडेन जैसे पागल कुत्ते बहुत से लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्हें डंडे से पीट-पीट कर मार डालना चाहिए। ऐसा करना अमेरिका के लिए भी फायदेमंद होगा।' केसीएनए ने इस दौरान बाइडेन के लिए ट्रंप की एक टिप्प्णी का भी इस्तेमाल किया और बाइडेन को 'स्लीपी' जो कहा था। इसमें कहा गया था कि बाइडेन के डिमेंशिया के अंतिम चरण में पहुंचने के संकेत हैं। ऐसा लगता है कि उनके जीवन को अलविदा करने का समय आ गया है।
बहरहाल, अमेरिका और उत्तर कोरिया के संबंध क्या रुख लेते हैं, इसका पता तो आने वाले कुछ समय में ही चल पाएगा, जब बाइडेन औपचारिक तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालन लेंगे। उनकी नीतियां ही बताएंगी कि उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिका का नया प्रशासन क्या रुख रखता है।