क्या अगला विश्वयुद्ध समुद्र में होगा ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि दक्षिण चीन महासागर में चीन की विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगाने के लिए अमेरिका सहित कई सहयोगी देश उसके खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। बताते हैं कि अमेरिका के साथ जर्मनी, फ्रांस,जापान और ताइवान की नेवी समुद्र में एक साथ जमा होने लगी हैं वो भी चीन के खिलाफ उसकी विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ...
बताते हैं कि ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तनाव अब तेजी से बढ़ रहा है और इसकी ग्राउंड तैयार हो रही है दक्षिण चीन महासागर में अमेरिकी सेना ने हाल के सालों में इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं वहीं चीन ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए ठीक नहीं हैं।
चीन ने हाल ही में ताइवान में परमाणु हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट भेजकर ताइवान को धमकाया है, इस घटना के बाद अमेरिका ने अपनी नौसेना को ताइवान की मदद के लिए भेज दिया है वहीं कई सहयोगी देश भी समुद्र में उसकी मदद को आगे आए हैं और चीन का विरोध कर रहे हैं।
वहीं बताते हैं कि कोरोना महामारी के चलते पूरे विश्व में अर्थव्यवस्था का जो हाल है उसको देखते हुए चीन अब अमेरिका को आंखे दिखा रहा है और अपनी ताकत का प्रदर्शन दुनिया के सामने करता रहता है।
दक्षिण चीन महासागर अपनी भौगोलिक परिस्थिति के कारण चीन की नजर में है यह एशिया के दक्षिण पूर्व में पड़ता है और यह दुनिया का सबसे ज्यादा व्यस्त जलमार्गों में से एक है क्योंकि कई देशों से जुड़ा हुआ है और इस समुद्री मार्ग से खासा भारी व्यापार होता है।
वहीं ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस और सहित पड़ोसी देश इस क्षेत्र में अपना दावा करते रहे हैं इसी पर प्रभुत्व को लेकर झगड़े की जड़ बनी हुई है।
अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर पिछले एक हफ्ते में ही टेंशन बढ़ चुकी है। अब बाइडन प्रशासन ने ताइवान की मदद के लिए अमेरिका ने ताइवान जलडमरूमध्य में F-16 वारक्राफ्ट और कई आधुनिक मिसाइलों से लैस कैरियर को भेज दिया है जिससे इस समुद्री इलाके में खासा तनाव बना हुआ है।वहीं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति जापान के करीब 1900 किलोमीटर के सेनककुस इलाके पर भी चीन अपना दावा ठोकता है। ये इलाका सामरिक और सैन्य दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है इस मामले पर अमेरिका जापान के साथ खड़ा है।