Lata Mangeshkar: भारतीय स्वरकोकिला, जिन्होंने PAK तानाशाह जिया-उल-हक को भी बना लिया था अपना मुरीद

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Updated Feb 06, 2022 | 17:14 IST

स्‍वरकोकिला लता मंगेशकर के निधन से पाकिस्‍तान में भी शोक की लहर है, जहां उनके प्रशंसकों की अच्‍छी खासी तादाद है। उनके प्रशंसकों में पाकिस्‍तान के तानाशाह जनरल जिया-उल-हक भी शामिल रहे हैं।

भारतीय स्वरकोकिला, जिन्होंने PAK तानाशाह जिया-उल-हक को भी बना लिया था अपना मुरीद
भारतीय स्वरकोकिला, जिन्होंने PAK तानाशाह जिया-उल-हक को भी बना लिया था अपना मुरीद  |  तस्वीर साभार: BCCL

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के क्रूर तानाशाह जनरल मुहम्मद जिया उल हक को अपने देश में महिलाओं की संगीत और अन्य कला प्रस्तुति पर प्रतिबंध लगाने के लिए जाना जाता है, लेकिन वह भी लता मंगेशकर की सुरीली आवाज के जादू से अछूते नहीं रह सके थे और उन्होंने एक बार खुद स्वीकार किया था कि वह भारत की 'स्वर कोकिला' के प्रशंसक हैं।

मंगेशकर (92) का रविवार को मुंबई स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया। वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें बीमारी के मामूली लक्षण थे। उन्हें आठ जनवरी को ब्रीच कैंडी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टर प्रतीत समदानी और उनकी टीम उनका इलाज कर रही थी।

...जब जनरल जिया ने की थी लता मंगेशकर की तारीफ

एक पुराने साक्षात्कार के अनुसार 1982 में दिवंगत भारतीय पत्रकार कुलदीप नैयर के साथ बात करते हुए जिया ने मंगेशकर की प्रशंसा की बात स्वीकार की थी। साक्षात्कार के दौरान नैयर ने जिया को यह कहकर ताना मारा कि भारतीय कहते हैं कि जब भी वे किसी सांस्कृतिक दल को पाकिस्तान ले जाना चाहते हैं तो पाकिस्तान में उसका स्वागत नहीं होता। ऐसे ही एक दल में लता मंगेशकर समेत कुछ प्रमुख महिला गायिकाएं शामिल थीं।

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उस समय पाकिस्तान के इस्लामीकरण की शुरुआत करने वाले जिया ने कहा था, 'मैं जिम्मेदार व्यक्ति हूं। मुझे खुद लता मंगेशकर के गीत पसंद हैं, लेकिन अगर आप उन्हें गाने के लिए पाकिस्तान भेजना चाहते हैं, तो मैं अभी इसे मना करुंगा, क्योंकि यह मौजूदा पाकिस्तानी भावना के अनुकूल नहीं है।'

भुट्टो सरकार को अपदस्‍थ कर संभाली थी सत्‍ता

जिया ने 1977 में जुल्फिकार अली भुट्टो की निर्वाचित सरकार को अपदस्थ करने के बाद सैन्य तख्तापलट कर सत्ता संभाली थी। उन्होंने अपने चुने हुए न्यायाधीशों के माध्यम से भुट्टो को हत्या के एक मामले में फांसी की सजा दिलवाई थी। जिया ने पाकिस्तान के इस्लामीकरण की अपनी योजना के दौरान इस्लाम के नाम पर कई पाबंदियां लगाई थी, जिसमें महिला कलाकारों की प्रस्तुति पर पाबंदी भी शामिल थी। वह 1978 में पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष बने थे और 1988 में विमान दुर्घटना में मारे जाने तक इस पद पर रहे थे।

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