Long March : पाकिस्तान में नया नहीं है लॉन्ग मार्च, सत्ता के खिलाफ संघर्ष का लंबा रहा है इतिहास    

दुनिया
आलोक राव
Updated May 28, 2022 | 12:31 IST

Long March in Pakistan : इमरान खान अपने धरना-प्रदर्शन और रैलियों के लिए जाने जाते रहे हैं। इमरान ही नहीं पाकिस्तान में लॉन्ग मार्च का अपना एक लंबा इतिहास है। नेता, सिविल सोसायटी के लोग लॉन्ग मार्च और रैलियां करते रहे हैं। एक नजर डालते हैं पाकिस्तान के प्रमुख लॉन्ग मार्च पर-

Long march in Pakistan is not new, struggle against power has a long history
इमरान खान ने अपना लॉन्ग मार्च स्थगित कर दिया है।  |  तस्वीर साभार: AP

Imran Khan Long March : पाकिस्तान (Pakistan) की सत्ता से बेदखल होने के बाद भी इमरान खान (Imran Khan) सुर्खियों में बने हुए हैं। वह नए पीएम शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) और गठबंधन सरकार पर लगातार हमलावर हैं। पाकिस्तानी संसद के बाहर पीटीआई (PTI) कार्यकर्ताओं एवं पुलिस की बीच झड़प के बाद उन्होंने अपना लॉन्ग मार्च (Long March) भले ही स्थगित कर दिया है लेकिन उन्होंने अपने तेवर नरम नहीं किए हैं। इमरान खान का कहना है कि चुनाव की तारीखों का अगर जल्द एलान नहीं हुआ तो वह एक बार फिर सड़कों पर दिखेंगे। चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के लिए उन्होंने शहबाज सरकार को छह दिन का समय दिया है। 

इस्लामाबाद के रेड जोन में दाखिल हुए पीटीआई के कार्यकर्ता
गुरुवार को पीटीआई के कार्यकर्ता एवं इमरान के समर्थक इस्लामाबाद के रेड जोन में दाखिल हो गए। यहां उन्हें पुलिस एवं पाकिस्तानी रेंजर्स ने रोका। रेड जोन में ही संसद, सुप्रीम कोर्ट, पीएमओ सहित पाकिस्तानी सत्ता की महत्वपूर्ण इमारतें हैं। इमरान खान अपने समर्थकों को इस्लामाबाद की कूच करने का आह्वान किया था जिसके बाद बुधवार सुबह को पाकिस्तान की सरकार ने राजधानी की तरफ आने वाली सभी सड़कों को बंद कर दिया। 

Pakistan long March

शहबाज सरकार पर दबाव बना रहे हैं इमरान
इमरान ने गत 22 मई को लॉन्ग मार्च की घोषणा की। उनकी मांग नेशनल असंबेली को तुरंत भंग करने और देश में नए सिरे से चुनाव कराने की है। गत अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन्हें पीएम पद से हटाया गया। इसके बाद से वह शरीफ सरकार पर दबाव बनाने के लिए देशभर में लगातार रैलियां कर रहे हैं। इमरान खान अपने धरना-प्रदर्शन और रैलियों के लिए जाने जाते रहे हैं। इमरान ही नहीं पाकिस्तान में लॉन्ग मार्च का अपना एक लंबा इतिहास है। नेता, सिविल सोसायटी के लोग लॉन्ग मार्च और रैलियां करते रहे हैं। एक नजर डालते हैं पाकिस्तान के प्रमुख लॉन्ग मार्च पर-

Long March in Pakistan

  • साल 1968 में सैन्य तानाशाह अयूब खान के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन हुआ था। इस धरना-प्रदर्शन में करीब 10 से 15 लाख छात्र एवं कर्मचारी शामिल हुए। इतने बड़े पैमाने पर विरोध को देखते हुए अयूब खान को इस्तीफा देना पड़ा।
  • 1980 में मुफ्ती जाफर हुसैन की नेतृत्व में शिया समुदाय ने बड़ा प्रदर्शन किया। जिया सरकार के जकात एवं उस्र अध्यादेश से शिया समुदाय नाराज था। बड़ी संख्या में समुदाय के लोगों ने संघीय सचिवालय को घेर लिया। 
  • मार्च 2007 में पाकिस्तान के जनरल परवेज मुशर्रफ ने देश के चीफ जस्टिस इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी को निलंबित कर दिया। इसके बाद न्यायपालिका से जुड़े लोग और आम जनता सड़क पर आ गई। मुशर्रफ के इस फैसले के खिलाफ लोगों ने इस्लामाबाद में लॉन्ग मार्च किया। लोगों के इस विरोध के बाद चौधरी प्रधान न्यायाधीश के पद पर बहाल हुए। 
  • 2014 में पाकिस्तान के 67वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इमरान खान की पीटीआई ने आजादी मार्च की शुरुआत की। लाहौर से शुरू होने वाली रैली इस्लामाबाद में समाप्त हुई। इमरान ने 2013 के आम चुनाव में धांधली होने का आरोप लगाया था। नवाज शरीफ के इस्तीफे की मांग को लेकर इमरान खान का धरना 126 दिनों तक चला। 
  • साल 2019 में जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ) के मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान खान की सरकार के खिलाफ लॉन्ग मार्च किया। मौलाना का यह मार्च आर्थिक संकट को लेकर था लेकिन उनका यह विरोध केवल दो सप्ताह तक चला।
  • अबक्टूबर 2020 में 11 दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। पीडीएम ने गुजरांवाला में इमरान के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन किया। 
  • फरवरी-मार्च 2022 में पीपीपी ने इमरान सरकार के खिलाफ 'आवामी मार्च' किया। 10 दिनों तक पाकिस्तान के अलग-अलगर शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। यह मार्च इस्लामाबाद में समाप्त हुआ।    
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