माली में विद्रोही सैनिकों ने राष्ट्रपति एवं पीएम को 'बंधक' बनाया, यूएन सहित कई देशों ने की निंदा

दुनिया
एजेंसी
Updated Aug 19, 2020 | 06:50 IST

Mali Crisis: अफ्रीकी देश माली में विद्रोही सैनिकों ने राष्ट्रपति इब्राहिम बोउबकार कीता एवं प्रधानमंत्री बाउबो सिसे को 'बंधक' बनाया है। इस घटना की निंदा, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका सहित कई देशों ने की है।

 Mali’s president Ibrahim Boubacar Keita and prime minister held by mutinous troops
माली में हुई तख्तापलट की कोशिश।  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • माली में विद्रोही सैनिकों ने की तख्तापलट की कोशिश
  • राष्ट्रपति इब्राहिम बोउबकार कीता एवं पीएम को बंधक बनाया
  • संयुक्त राष्ट्र सहित अमेरिका, फ्रांस ने घटना की निंदा की

बमाको : अफ्रीकी देश माली में विद्रोही सैनिकों की तरफ से तख्तापलट की कोशिश की गई है। यहां सैनिकों ने राष्ट्रपति इब्राहिम बोउबकार कीता एवं प्रधानमंत्री बाउबो सिसे को 'बंधक' बनाया है। माली में यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब कीता को राष्ट्रपति पद से हटने के लिए कई महीनों तक विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। सैनिकों ने राष्ट्रपति भवन को चारो तरफ से घेरकर गोलीबारी की इसके बाद राष्ट्रपति को हिरासत में ले लिया। इसके बाद सैनिक बमाकों की सड़कों पर घूमते नजर आए जिसके बाद यह साफ हो गया कि उन्होंने राजधानी को अपने नियंत्रण में ले लिया है। हालांकि, इस घठना के बारे में सेना की तरफ से तत्काल कोई बयान जारी नहीं हुआ। यहां आठ साल पहले भी तख्तापलट हुआ था।

अफ्रीकी संघ ने की निंदा
अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष मोउसा फाकी महामत ने ने माली के नेताओं के 'जबरन हिरासत' में लिए जाने की निंदा की है। उन्होंने इन नेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग की है। मोउसा ने 'सरकार को असंवैधानिक तरीके से बदलने' के प्रयास को खारिज किया है। माली के इस घटनाक्रम की संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, क्षेत्रीय ब्लॉक इकोवास एवं फ्रांस ने निंदा की है। माली फ्रांस का उपनिवेश रह चुका है। फ्रांस ने 2013 से संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर इस देश को स्थिर करने का प्रयास किया है।  

संवैधानिक आदेशों को बहाल करने की मांग
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफेन डुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने माली में 'संविधानिक आदेशों एवं कानून के शासन को तुरंत बहाल करने की मांग की।' साल 2012 में हुए तख्तापलट में देश में इस्लामी चरमपंथियों का वर्चस्व कायम हो गया। समझा जाता है कि इस घटना के बाद से देश अस्थिरता का शिकार होगा लेकिन राजधानी में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी जश्न मनाते हुए देखे गए हैं। गत जून में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि राष्ट्रपति को अपना कार्यकाल पूरा करने से तीन साल पहले पद से हट जाना चाहिए।
 

अगली खबर