नई दिल्ली: अमेरिकी वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने घोषणा की है कि 12-17 वर्ष की आयु के बच्चों के साथ उसका परीक्षण अत्यधिक प्रभावी रहा है और वे जून में आपातकालीन नियामक अनुमोदन प्राप्त करने जा रहे हैं। मॉडर्ना ने कहा कि उसकी वैक्सीन बच्चों पर 10 प्रतिशत प्रभावी और सुरक्षित है। वैक्सीन को 12 से 17 साल की उम्र के 3732 बच्चों पर परीक्षण किया गया है। कंपनी ने कहा कि टीका पहली खुराक के दो सप्ताह बाद 93% प्रभावी दिखाई दिया। जबकि दोनों खुराकों के बाद 100% प्रभाव दिखा।
अमेरिका की नियाम एजेंसी एफडीए ने इसी महीने 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी है। बच्चों के लिए मंजूरी पाने वाली वह दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन है। अगर मॉडर्ना को भी मंजूरी मिल जाती है तो ये अमेरिका में बच्चों के लिए दूसरी वैक्सीन होगी।
वहीं भारत की बात करें तो भले ही भारतीय अधिकारियों ने निजी कंपनियों को अनुमोदित टीकों के आयात की अनुमति दी हो, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि हमें जल्द ही खुराक मिलने वाली है। ET की एक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि फाइजर और मॉडर्ना दोनों ही अपने प्री-बुक ऑर्डर में व्यस्त हैं और भारत में उनके टीके लाने में समय लग सकता है।
फाइजर की 5 करोड़ खुराकें आएंगी देश
मॉडर्ना के टीके अगले साल भारत में उपलब्ध हो सकते हैं। इसके लिए सिप्ला और अन्य भारतीय दवा कंपनियों से बातचीत चल रही है। समझा जाता है कि सिप्ला ने मॉडर्न से 2022 में 5 करोड़ टीके की खुराक की खरीद में रूचि दिखाई है। इसके अलावा फाइजर 2021 में ही 5 करोड़ टीके उपलब्ध कराने को तैयार है। फाइजर चाहती है कि भारत में वैक्सीन के साइड इफेक्ट होने पर कानूनी कार्रवाई से छूट मिले। सूत्रों की मानें तो भारत ये छूट देने को तैयार है। ब्रिटेन समेत दुनिया के 116 देश यह छूट दे रहे हैं।