म्यांमार: प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का था आदेश, पुलिसकर्मी ने नहीं माना, भागकर भारत आ गया

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Updated Mar 10, 2021 | 18:09 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

म्यांमार में पिछले महीने हुए तख्तापलट के बाद लगातार प्रदर्शन जारी हैं। इन प्रदर्शनों में पुलिस की गोलीबारी में 50 से ज्यादा की जान जा चुकी है। कुछ पुलिस वाले ऐसे भी हैं, जिन्होंने गोली चलाने का आदेश नहीं माना।

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म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन  |  तस्वीर साभार: AP

नई दिल्ली: म्यांमार में तख्तापलट के बाद बदले हालातों के चलते वहां के कुछ नागरिकों समेत पुलिसकर्मियों ने भी भारत में शरल ले ली। हाल ही में म्यांमार ने मिजोरम प्रशासन से आठ पुलिसकर्मियों को वापस भेजने का अनुरोध किया है। म्यांमार में सशस्त्र बलों द्वारा एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा के विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। बताया जाता है कि म्यांमा के करीब 125 लोगों ने भारतीय सीमा पार करने की कोशिश की, लेकिन असम राइफल्स के कर्मियों ने उन्हें रोक दिया।

भारत आए पुलिसकर्मियों को शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने से इनकार करने के बाद सेना ने घेर लिया था। न्यूज एजेंसी 'रॉयटर्स' की खबर के अनुसार, 27 फरवरी को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया था लेकिन पेंग नाम के पुलिसकर्मी ने प्रदर्शनकारियों पर मशीन गन से गोलियां चलाने का आदेश मानने से इनकार कर दिया था। अगले दिन सेना के अधिकारी ने उससे पूछा कि क्या गोली चलाओगे? पेंग ने फिर से गोली चलाने से इनकार कर दिया और इस्‍तीफा सौंप दिया।

कई पुलिसकर्मियों ने नहीं माना ऑर्डर

अगले दिन उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और किसी तरह मुश्किल सफर कर भारत आए। पेंग ने कहा कि मेरे पास कोई विकल्प नही था। म्यांमार के था पेंग एक पुलिस अधिकारी थे और हाल ही में भागकर भारत आए हैं। भारत-म्यांमार सीमा के पास भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम के चम्फाई शहर में रॉयटर्स के साथ उन्होंने बातचीत की। उन्होंने वर्दी में अपनी फोटो भी दिखाई। पेंग ने कहा कि उन्होंने और उनके छह सहयोगियों ने 27 फरवरी 2021 को एक बड़े अधिकारी की ऑर्डर को नहीं माना। उनके नाम पेंग ने नहीं लिए। 

50 से ज्यादा की गई जान

प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों की बढ़ती हिंसा के मद्देनजर नए नए तरीके अपनाए हैं। सुरक्षाबल भीड़ पर गोलियां भी चला रहे हैं। पुलिस कार्रवाई में 50 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे जा चुके हैं लेकिन उसके बाद भी एक फरवरी के तख्तापलट के विरूद्ध प्रदर्शन कम नहीं हो रहे हैं। एक फरवरी को आंग सान सूची की निर्वाचित सरकार सत्ता से बेदखल कर दी गई थी। देश भर में प्रदर्शन रोज हो रहे हैं। 

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