काठमांडू : नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने भारत के सेना प्रमुख एमएम नरवाणे के हालिया बयान पर नाराजगी जाहिर की है। पोखरेल का कहना है कि सेना प्रमुख का बयान नेपाल के इतिहास का अपमान करने वाला है। उनके बयान ने नेपाल की स्वतंत्रता एवं उसके सामाजिक चरित्र की अनदेखी की है। दरअसल, धारचूला-लिपुलेख सड़क मार्ग पर नेपाल के आपत्ति जताने के बाद सेना प्रमुख नरवणे ने टिप्पणी की। सेना प्रमुख ने कहा कि नेपाल ऐसी किसी और देश के इशारे पर कर रहा है। उन्होंने किसी देश का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका इशारा चीन की तरफ था।
नेपाली रक्षा मंत्री ने स्थानीय समाचार पत्र से बात की
एक स्थानीय समाचार पत्र राइजिंग नेपाल के साथ बातचीत में कहा, 'नेपाल के इतिहास, हमारी सामाजिक विशेषताओं एवं आजादी की अनदेखी करने वाला बयान अपमानजनक है। भारत के सेना प्रमुख ने अपने बयान से नेपाली गोरखा सैनिकों की भावना को भी ठेस पहुंचाई है जो भारत की सुरक्षा करते हुए अपना बलिदान देते हैं। ऐसे में उन्हें गोरखा सैनिकों के सामने बड़ा दिखने में मुश्किल आएगी।' भारत का कहना है कि उसने उत्तराखंड के अपने हिस्से में सड़क का निर्माण किया है और इस पर कोई विवाद नहीं है।
लिपुलेख-धारचूला मार्ग पर नेपाल को है आपत्ति
दरअसल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा धारचूला-लिपुलेख मार्ग का लोकार्पण किए जाने के बाद से नेपाल की तरफ से बयानबाजी तेज हो गई है। नेपाल सरकार ने अपने नए नक्शे में लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापाली को अपने इलाके में दिखाया है। भारत इस क्षेत्र को अपना मानता है। इन तीनों इलाकों को नेपाल के नक्शे में दिखाए जाने के बाद विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। भारत ने कहा कि इस तरह से क्षेत्र में कृत्रिम विस्तार के दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा। भारत ने इस तरह के अनुचित मानचित्रण से नेपाल को बचने को कहा।
नेपाल ने जारी किया है देश का नया नक्शा
नेपाली प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने गत मंगलवार को कहा कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के हैं और उन्होंने संकल्प लिया कि राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से भारत से उन्हें "फिर से प्राप्त" कर लिया जाएगा। पीएम ओली ने अपने देश में कोविड-19 की बढ़ती संख्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है। ओली ने कहा है कि भारत से बिना जांच के लिए उनके देश में दाखिल हो रहे हैं जिससे इस महामारी की संख्या में वृद्धि हो रही है।