काठमांडू : प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नेपाल के बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान की निंदा की है। उन्होंने दावा किया कि कालापानी इलाके पर भारत के दावा का कोई ठोस आधार नहीं है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ओली ने यह बात बुधवार को नेपाली संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहीं। नेपाल के पीएम ने कहा कि यूपी के सीएम को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था।
योगी की बातें अनुचित-ओली
उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने नेपाल के बारे में कुछ बातें कही हैं। उनके बयान अनुचित एवं तर्कसंगत नहीं हैं। वह केंद्र सरकार में निर्णय लेने की क्षमता में नहीं हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में बयान दिया है और उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था। आदित्यनाथ जी यदि अपने बयानों से नेपाल को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं तो यह निंदनीय है। उनके अपमान से नेपाल का अपमान हुआ है। मैं योगी जी से कहना चाहूंगा कि नेपाल इन अपमान को स्वीकार नहीं करता है।'
'नेपाल को तिब्बत याद रखना चाहिए'
कालापानी इलाके पर नेपाल के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए आदित्यनाथ ने पिछले सप्ताह कहा था, 'राजनीतिक सीमा तय करने से पहले नेपाल को अपने दूरगामी परिणामों के बारे में सोच लेना चाहिए। उसे याद रखना चाहिए कि तिब्बत के साथ क्या हुआ।' ओली ने कहा कि भारत-नेपाल के विवादित मसले पर उन्हें बयान देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'भारत यदि बातचीत के लिए ज्यादा इच्छा दिखाता है तो समस्या का हल ढूंढा जा सकता है।' नेपाल के पीएम ने कहा कि उनका देश कालापानी विवाद के निपटारे के लिए तैयार है।
नेपाल के नए नक्शे पर विवाद
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गत आठ मई को उत्तराखंड में धारचूला और लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाले, 80 किलोमीटर लंबे एवं रणनीतिक रूप से अहम मार्ग का उद्घाटन किया। इसके बाद भारत और नेपाल के बीच रिश्ते में तनाव आ गया। इसके बाद नेपाल की कैबिनेट ने अपने नया राजनीतिक नक्शा पेश किया। इस नक्शे में लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र को नेपाल का बताया गया। नेपाल के इस नक्शे पर भारत ने विरोध दर्ज कराया। ओली सरकार इस नक्शे पर आम सहमति बनाने के लिए संसद में चर्चा कराना चाहती है।
नए नक्शे पर आगे बढ़ा नेपाल
इसी क्रम में नेपाल ने अपनी संसद के निचले सदन में विवादास्पद मानचित्र में बदलाव को लेकर संविधान में संशोधन किए जाने के एक प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। ओली सरकार की ओर से मंगलवार को यह प्रस्ताव संसद में लाया गया, जिसे सांसदों ने एकमत से मंजूरी कर लिया। नेपाल की घरेलू राजनीति के नजरिये से यह इसलिए भी है, क्योंकि संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स' में ओली सरकार को बहुमत हासिल नहीं है।