नई दिल्ली : अपने नए राजनीतिक नक्शे से भारत के साथ रिश्तों में तल्खी पैदा करने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के सुर नरम पड़ने लगे हैं। भारत के कटु आलोचक में शुमार अपने रक्षा मंत्री को ईश्वर पोखरेल को उन्होंने कैबिनेट से हटा दिया। नेपाली पीएम के इस कदम को भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने की एक पहल के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि सेना प्रमुख एमएम नरवने अगले महीने नेपाल की यात्रा पर जाने वाले हैं। इस दौरान नेपाल सेना प्रमुख को मानद जनरल की उपाधि से सम्मानित करेगा। पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तल्खी देखने को मिली है।
प्रधानमंत्री कार्यालय से अटैच किया
ईश्वर पोखरेल को भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता है। ओली सरकार में उनकी हैसियत नंबर दो की रही है। समझा जाता है कि ओली ने उन्हें हटाकर भारत के प्रति एक सकारात्मक एवं सहयोगात्मक संदेश देना चाहते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ओली ने रक्षा मंत्रालय का प्रभार अपने पास रखा है। नेपाल की मीडिया के मुताबिक पोखरेल को प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ अटैच किया गया है। वह बिना पोर्टफोलियो के मंत्री बने रहेंगे।
सड़क का नेपाल ने किया विरोध
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गत मई महीने में कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए लिपुलेख तक जाने वाली 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इसका विरोध किया। काठमांडू के इस विरोध पर सेना प्रमुख नरवणे ने कहा था कि नेपाल किसी के इशारे पर काम कर रहा है। सेना प्रमुख का इशारा चीन की तरफ था। इसके बाद रक्षा मंत्री पोखरियाल ने भारत विरोधी रुख अख्तियार करते हुए भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों के भर्ती न किए जाने की बात कही थी।
गोरखा सैनिकों पर पोखरेल ने दिया था बयान
पोखरेल ने कहा, 'भारत के सेना प्रमुख के बयान से नेपाली गोरखा सैनिकों की भावनाएं आहत हुई हैं। इस बयान के बाद भारतीय सेना में मौजूद गोरखा सैनिक अपने वरिष्ठों का सम्मान नहीं करेंगे।' इसके अलावा उन्होंने कई बार भारत विरोधी रुख अपनाया। नेपाल की मीडिया के मुताबिक पोखरेल ने सेना प्रमुख नरवणे की नेपाल यात्रा का भी विरोध किया। वह चाहते थे कि सीमा विवाद पर भारत पहले बातचीत के लिए आगे आए।